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Thursday, May 20, 2021

यूपी के स्कूल इस साल नहीं बढ़ा सकेंगे फीस, खेल-परिवहन शुल्क भी नहीं लेंगे

बड़ी खबर : शैक्षणिक सत्र 2021-22 में फीस नहीं बढ़ा सकेंगे यूपी के निजी स्कूल, आदेश जारी

यूपी के स्कूल इस साल नहीं बढ़ा सकेंगे फीस, खेल-परिवहन शुल्क भी नहीं लेंगे

पूरी फीस वसूलकर भी शिक्षकों व कर्मियों को नहीं दिया वेतन तो होगी कार्यवाही, जिलाधिकारियों को आदेश जारी


लखनऊ : प्राइवेट स्कूल और डिग्री कालेज मनमानी पर उतारू हैं और वो शिक्षक व कर्मियों को वेतन देने में आनाकानी कर रहे हैं। लगातार शिकायतों के बाद अब बेसिक शिक्षा विभाग और उच्च शिक्षा विभाग की ओर से ऐसे संस्थानों पर कार्रवाई किए जाने के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।

बेसिक शिक्षा विभाग ने इस बारे में सभी जिलाधिकारियों को गुरुवार को शासनादेश जारी किया है। जिलाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि ऐसे निजी शिक्षण संस्थान जो शुल्क तो पूरा वसूल रहे हैं, लेकिन शिक्षकों-कर्मचारियों को पूरा वेतन नहीं दे रहे हैं, उनसे उनके कार्मिकों को पूर्ण वेतन का भुगतान करवाया जाए।

                                                                              
कोरोना महामारी के कारण पैदा हुई परिस्थितियों को देखते हुए राज्य सरकार ने प्रदेश में संचालित सभी बोर्डों के विद्यालयों में शैक्षणिक सत्र 2021-22 में फीस वृद्धि पर रोक लगा दी है। यह जानकारी गुरुवार को उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने दी। इस आशय का शासनादेश भी जारी कर दिया गया है। 

डॉ. शर्मा ने कहा कि कोविड-19 के चलते कई परिवार आर्थिक रूप से प्रभावित हुए हैं। विद्यालय भौतिक रूप से बंद हैं पर ऑनलाइन पठन-पाठन जारी है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने एक ऐसा संतुलित निर्णय किया है जिससे कि आम जनमानस पर अतिरिक्त भार न पड़े, साथ ही विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को नियमित वेतन भी मिलता रहे।

उन्होंने कहा कि विद्यालय शैक्षणिक सत्र 2021-22 में पिछले वर्ष की भांति उसी शुल्क संरचना के हिसाब से फीस ले सकेंगे जो वर्ष 2019-20 में लागू की गई थी। अगर किसी स्कूल ने बढ़ी हुई शुल्क संरचना के हिसाब से फीस ले ली है तो इस बढ़ी हुई फीस को आगे के महीनों की फीस में समायोजित किया जाएगा। विद्यालय बंद रहने की अवधि में परिवहन शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसके अलावा अगर किसी छात्र अथवा अभिभावक को तीन माह का अग्रिम शुल्क जमा करने में किसी प्रकार की परेशानी आ रही है तो उनके अनुरोध पर उससे मासिक शुल्क ही लिया जाएगा। उन्हें तीन माह का अग्रिम शुल्क देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा। 
      
भौतिक रूप से परीक्षा होने पर ही ले सकेंगे परीक्षा शुल्क
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक विद्यालयों में भौतिक रूप से परीक्षा नहीं हो रही है, तब तक परीक्षा शुल्क भी नहीं लिया जा सकेगा। इसी प्रकार जब तक क्रीड़ा, विज्ञान प्रयोगशाला, लाइब्रेरी, कम्प्यूटर व वार्षिक समारोह जैसी गतिविधियां नहीं हो रही हैं तब तक उनका शुल्क भी नहीं लिया जा सकेगा। 

मासिक किस्त में भी दे सकेंगे फीस
उन्होंने कहा कि सरकार ने कोरोना काल में पूरी संवेदनशीलता के साथ यह निर्णय भी किया है कि अगर कोई छात्र अथवा छात्रा अथवा उनके परिवार का कोई सदस्य कोरोना से संक्रमित है और उन्हें फीस देने में परेशानी हो रही है तो संबंधित छात्र अथवा छात्रा के लिखित अनुरोध पर उस माह का शुल्क अग्रिम महीनों में मासिक किस्त के रूप में समायोजित किया जाएगा। 

नियमित वेतन देने के आदेश
इस बात के निर्देश भी दिए गए हैं कि विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का वेतन नियमित रूप से दिया जाए। इन आदेशों का कड़ाई से अनुपालन करने के निर्देश दिए गए हैं। यदि किसी विद्यालय द्वारा इन निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है तो अभिभावक द्वारा जिले में गठित शुल्क नियामक समिति के समक्ष शिकायत की जा सकेगी। जिला विद्यालय निरीक्षक को इन नियमों का अनुपालन कराने की जिम्मेदारी दी गई है।

अभिभावकों के लिए राहत भरी खबर है। प्रदेश सरकार ने शैक्षणिक सत्र 2021-22 में स्कूलों पर फीस बढ़ाने पर रोक लगा दी है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना महामारी के चलते पैदा हुई परिस्थितियों को देखते हुए प्रदेश में संचालित सभी बोर्डों के सभी विद्यालयों में शैक्षणिक सत्र 2021-22  के लिए शुल्क वृद्धि पर रोक लगा दी है। यह जानकारी देते हुए उपमुख्यमंत्री एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि कोविड के चलते कई परिवार आर्थिक रूप से प्रभावित हुए हैं।

विद्यालय भौतिक रूप से बन्द हैं पर आनलाइन पठन पाठन कार्य जारी है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने एक ऐसा संतुलित निर्णय किया है जिससे कि आम जनमानस पर अतिरिक्त भार न पड़े साथ ही विद्यालय में कार्यरत शिक्षक व शिक्षणेत्तर कार्मिकों को नियमित  वेतन देना सुनिश्चित किया जा सके।

उप मुख्यमंत्री ने बताया कि विद्यालय शैक्षणिक सत्र 2021-22 में पिछले वर्ष की भांति उसी शुल्क संरचना के हिसाब से शुल्क ले सकेंगे जो वर्ष 2019-20 में लागू की गई थी। अगर किसी स्कूल ने बढ़ी हुई शुल्क संरचना के हिसाब से फीस ले ली है तो इस बढ़ी हुई फीस को आगे के महीनों की फीस में समायोजित किया जाएगा।

उन्होंने कहा है कि विद्यालय बन्द रहने की अवधि में परिवहन शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसके अलावा अगर किसी छात्र अथवा अभिभावक को तीन माह का अग्रिम शुल्क जमा करने में किसी प्रकार की परेशानी आ रही है तो उनके अनुरोध पर उनसे मासिक शुल्क ही लिया जाए। इस स्थिति में उन्हें तीन माह का अग्रिम शुल्क देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा। 


लखनऊ। प्रदेश के सभी निजी विद्यालय शैक्षणिक सत्र 2021-22 में फीस नहीं बढ़ा सकेंगे। उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि प्रदेश में संचालित सभी बोडों से संबद्ध हर स्कूल पर यह आदेश लागू होगा।

 विद्यालय बंद रहने पर परिवहन शुल्क नहीं देना होगा। साथ ही तीन महीने की अग्रिम फीस देने में दिक्कत होने पर अभिभावक मासिक फीस दे सकेंगे। जिन विद्यालयों ने शुल्क वृद्धि कर अभिभावकों से फीस वसूली है उसे आगामी महीनों में समायोजित करना होगा।

उप मुख्यमंत्री ने बताया कि विद्यालय शैक्षणिक सत्र 2021-22 में पिछले वर्ष की भांति उसी शुल्क संरचना के हिसाब से शुल्क ले सकेंगे जो वर्ष 2019-20 में लागू की गई थी। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में भौतिक रूप से परीक्षा नहीं हो रही है इसलिए परीक्षा शुल्क भी नहीं लिया जा सकेगा। 

इसी प्रकार से जब तक क्रीड़ा विज्ञान प्रयोगशाला, लाइब्रेरी, कंप्यूटर, वार्षिकोत्सव जैसी गतिविधियां नहीं हो रही हैं, उनका शुल्क भी नहीं लिया जा सकेगा। शुल्क नियामक समिति के समक्ष कर सकेंगे शिकायत उप मुख्यमंत्री ने बताया कि यदि किसी विद्यालय की ओर से सरकार के आदेश का उल्लंघन किया जाता है तो अभिभावक जिले में गठित शुल्क नियामक समिति के समक्ष शिकायत कर सकेंगे।

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