बीएसए ऑफिस में पड़ीं सेवा पुस्तिकाएं, वेतन को चक्कर काट रहे शिक्षक
झांसी। बाहरी जिलों से तबादला कराकर अपने गृह जनपद झांसी आना शिक्षकों को भारी पड़ रहा है। अपने गृह जिले में नौकरी तो कर रहे हैं, लेकिन बाबुओं की मनमानी के चलते उनको वेतन नहीं मिल पा रहा है। जिले में अंतरजनपदीय तबादलों के तहत आए 318 शिक्षकों की सेवा पुस्तिकाएं दफ्तर में धूल फांक रही हैं। जबकि शिक्षक वेतन के लिए दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं। शिक्षकों ने कई बार अधिकारियों से शिकायत भी की है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं की जा रही है।
प्रदेश सरकार द्वारा फरवरी माह में शिक्षकों के अंतरजनपदीय तबादले किए गए थे। इस दौरान जिले में 318 शिक्षकों ने कार्यभार ग्रहण किया। इनको विद्यालय भी आवंटित कर दिए गए। शिक्षकों ने स्कूलों में पढ़ाना शुरू कर दिया। जब वेतन की बात आई, तो कहा गया कि जिन जिलों से शिक्षक आए हैं, वहां से सेवा पुस्तिकाएं नहीं मिली हैं। मार्च के अंत तक सेवा पुस्तिकाएं बीएसए कार्यालय में पहुंच गईं, लेकिन बाबुओं ने सेवा पुस्तिकाओं को ब्लॉक पर नहीं भेजा है। ऐसे में शिक्षक वेतन के लिए चक्कर काट रहे हैं।
कोरोना काल में स्कूल बंद हैं, लेकिन वेतन न मिलने से शिक्षकों के आगे संकट खड़ा हो गया है। इनमें तमाम शिक्षक ऐसे हैं, जिनको चुनावी ड्यूटी के लिए भेजा गया था और वे संक्रमित हो गए हैं। एक ओर इलाज का खर्च और दूसरी ओर वेतन का भुगतान न होने से शिक्षकों के आगे समस्या खड़ी हो गई है। शिक्षक राजेश कुमार कहते हैं कि विभाग के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन वेतन नहीं मिला है।
शिक्षिका रचना कहती हैं कि वेतन न मिलने से दिक्कत हो रही है। गृह जिले में नौकरी तो मिल गई, लेकिन वेतन का भुगतान नहीं हो रहा। बेसिक शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष रसकेंद्र गौतम कहते हैं कि अंतर्जनपदीय तबादलों के तहत आए शिक्षक कई माह से विना वेतन के काम कर रहे हैं। शिक्षकों को कार्यालय के चक्कर लगवाए जा रहे हैं। मानसिक और आर्थिक शोषण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर जल्द ही शोषण बंद नहीं हुआ, तो उग्र प्रदर्शन किया जाएगा।
सेवा पुस्तिकाओं को ब्लॉक पर भेज दिया गया है। संक्रमण के दौर में चार ब्लॉक के बीईओ का स्वास्थ्य खराब चल रहा है। ऐसे में काम प्रभावित हो रहा है। जल्द ही शिक्षकों का वेतन जारी कर दिया जाएगा।- हरिवंश कुमार, बीएसए
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