यूपी : बिना परीक्षा के प्रोन्नत किए जाएंगे विश्वविद्यालय और कॉलेज के लाखों छात्र, कमेटी तय करेगी मानक
यूपी में विश्वविद्यालयों व कॉलेजों के स्टूडेंट्स को प्रमोट करने के लिए समिति गठित, एक हफ्ते में देगी रिपोर्ट
कोरोना महामारी को देखते हुए शैक्षिक सत्र 2020-21 में मुख्य एवं सेमेस्टर परीक्षाओं के बिना छात्र-छात्राओं को अगली कक्षाओं में प्रोन्नत किया जाएगा। इसके मानक तय करने के लिए शासन ने तीन कुलपतियों की एक कमेटी बनी है जिसकी रिपोर्ट पर शासन फैसला लेगा।
सत्र 2020-21 में कोरोना की पहली व दूसरी लहर के कारण शैक्षणिक कार्यों के साथ-साथ परीक्षाएं भी प्रभावित हुई हैं। आनलाइन कक्षाओं के सहारे शैक्षणिक कार्य कुछ हद तक हुआ भी लेकिन परीक्षाएं नहीं हो सकीं। सबसे बड़ी समस्या वार्षिक परीक्षाओं को लेकर है, क्योंकि इस प्रणाली में मूल्यांकन की कोई अन्य पद्धति है ही नहीं । सेमेस्टर प्रणाली में तो पूर्व में हो चुकी एक-दो सेमेस्टर की परीक्षाओं में प्रदर्शन के आधार पर प्रोन्नति दी जा सकती है।
कमेटी एक हफ्ते में रिपोर्ट देगी
उच्च शिक्षा विभाग के विशेष सचिव अब्दुल समद की तरफ से जारी आदेश के अनुसार कमेटी में लखनऊ विवि के कुलपति, सीएसजेएमयू कानपुर के कुलपति और महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विवि बरेली के कुलपति को शामिल किया गया है। कमेटी हफ्तेभर में अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है।
यूपी में विश्वविद्यालयों व कॉलेजों के स्टूडेंट्स को प्रमोट करने के लिए समति गठित की गई है। कोरोना महामारी की परिस्थितियों को देखते हुए उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के विद्यार्थियों को अगली कक्षाओं में प्रोन्नत करने के बारे में शासन को सलाह देने के लिए कुलपतियों की तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है।
लखनऊ । कोरोना महामारी की परिस्थितियों को देखते हुए उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के विद्यार्थियों को अगली कक्षाओं में प्रोन्नत करने के बारे में शासन को सलाह देने के लिए कुलपतियों की तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा गठित यह समिति विद्यार्थियों को अगली कक्षाओं में प्रोन्नत करने के लिए मानक या दिशा-निर्देश तय करने के बारे में शासन को अपनी रिपोर्ट देगी। समिति से एक सप्ताह में रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।
उच्च शिक्षा विभाग की ओर से गठित इस समिति में लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय, कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक और बरेली के महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कृष्णपाल सिंह शामिल है। यह समिति विद्यार्थियों को अगली कक्षाओं में प्रोन्नत करने के लिए मानक या दिशानिर्देश तय करने के बारे में शासन को अपनी रिपोर्ट देगी। समिति से एक सप्ताह में रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के कारण विश्वविद्यालय और डिग्री कॉलेजों में पढ़ रहे स्नातक व परास्नातक के विद्यार्थियों की मुख्य व सेमेस्टर परीक्षाएं नहीं हो पाई हैं। वहीं, लखनऊ विश्वविद्यालय ने मौजूदा कोरोना महामारी की स्थिति को देखते हुए स्नातक और परास्नातक के पहले सेमेस्टर की परीक्षाओं को न कराके छात्रों को प्रमोट करने की अनुमति उत्तर प्रदेश शासन से मांगी है। स्नातक के तीसरे और पांचवे सेमेस्टर की परीक्षाएं कोरोना महामारी की दूसरी वेव से पहले कराई जा चुकी थीं जिसके कुछ परीक्षाओं के परिणाम जारी भी किए गए हैं।
बता दें कि कोरोना वायरस महामारी के चलते उत्तर प्रदेश के अनेक विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों परीक्षाएं पूरी नहीं हो पाई हैं। लॉकडाउन की वजह से अब तक विश्वविद्यालय नहीं खोले जा सके हैं। आगे कब खुलेंगे, इसके बारे में भी कुछ स्पष्ट नहीं है। ऐसे में स्टूडेंट्स समझ नहीं पा रहे हैं कि आगे क्या होगा। इसको लेकर डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा है कि अंतिम वर्ष या अंतिम सेमेस्टर को छोड़कर शेष परीक्षाएं कैंसल की जाएंगी। फर्स्ट और सेकेंड ईयर के स्टूडेंट्स को आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाएगा।
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