यूजीसी के इस फरमान का विवि शिक्षकों ने शुरू किया विरोध
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा जारी उस नोटिस का डीयू के शिक्षक संगठनों ने विरोध किया है जिसमें कहा गया है कि ऑनलाइन माध्यम से कुल पाठ्यक्रम के 40 फीसदी हिस्से का शिक्षण होगा। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ का कहना है कि यूजीसी का यह निर्णय भेदभाव पूर्ण है। इसे स्वीकारा नहीं जा सकता। इससे असमानता बढ़ेगी।
शिक्षक संगठन एकेडमिक फॉर एक्शन एंड डेवलेपमेंट के पदाधिकारी और पूर्व कार्यकारी समिति के सदस्य राजेश झा का कहना है कि अधिकांश छात्रों के पास बुनियादी ढांचे और उपकरणों की कमी के कारण ऑन-कैंपस कक्षाओं के प्रतिस्थापन के रूप में ऑनलाइन कक्षाएं संभव नहीं है। हमारे पास एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस, पीडब्ल्यूडी और पूर्वोत्तर और जम्मू, कश्मीर आदि दूरस्थ क्षेत्रों से आने वाले तीन चौथाई छात्र हैं, जिनके पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है।
उन्होंने नेशनल सैम्पल सर्वे (2014) का हवाला देते हुए कहा कि भारत में केवल 27 प्रतिशत घरों में ही कुछ ऐसे सदस्य हैं जिनकी इंटरनेट तक पहुंच है। स्मार्टफोन होना मतलब डिजिटल माध्यम तक पहुंच होना नहीं है। प्रभावी रूप से केवल 12.5 प्रतिशत परिवारों के पास कंप्यूटिंग डिवाइस पर घर पर इंटरनेट है। डेटा भी एक राज्य से दूसरे राज्य में भिन्न हैं। उदाहरण के लिए, नमूना सर्वेक्षण कहता है कि आंध्र प्रदेश में 30 प्रतिशत ग्रामीण घरों में इंटरनेट की पहुंच है, लेकिन केवल 2 प्रतिशत लोगों के पास घर पर प्रभावी इंटरनेट का उपयोग होने की संभावना है यानी कंप्यूटिंग डिवाइस के साथ ऑनलाइन क्लास को नियमित करने से शिक्षण की गुणवत्ता के साथ-साथ शिक्षकों के वर्कलोड या कार्यभार में भी कमी आएगी।
उनका कहना है कि महामारी और लॉकडाउन के चुनौतीपूर्ण समय के दौरान जब पूरी दुनिया इस संकट से समाधान प्रदान करने के लिए वैज्ञानिकों और डॉक्टरों के प्रयास की सराहना कर रही है यूजीसी छात्रों के लिए कक्षा शिक्षण और व्यावहारिक प्रशिक्षण को समाप्त करने पर आमादा है। इससे पहले भी कई मानदंडों को बदल दिया गया था ताकि अधिक से अधिक विश्वविद्यालय 100 फीसदी ऑनलाइन डिग्री प्रदान कर सकें। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि कोविड 2.0 के कंधों पर रख कर फंड-कट और शिक्षकों की नौकरी काटी जा रही है।
तदर्थ शिक्षकों की नौकरी में आएगी कमी
राजेश झा का कहना है कि डीयू में कुल शिक्षकों की आधी संख्या तदर्थ शिक्षकों की है। जब 40 फीसदी ऑनलाइन पढ़ाई होगी तो इनकी अस्थायी नौकरी प्रभावित होगी। हम इन तदर्थ शिक्षकों के समायोजन की मांग करते हैं। उनको नौकरी से हटाने का समर्थन नहीं कर सकते हैं।
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