उच्च शिक्षा में कर्मचारियों, शिक्षकों का वेतन फंसा, शासन तक पहुंची शिकायत
क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों, कुलसचिवों को पत्र जारी।
समय से वेतन जारी न करने पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ की जाएगी कार्रवाई।
राज्य विश्वविद्यालयों, निजी विश्वविद्यालयों, राजकीय महाविद्यालयों, अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों और स्ववित्त पोषित महाविद्यालयों में शिक्षकों, कर्मचारियों का वेतन फंसा हुआ है। इस मामले में शासन ने संज्ञान लेते हुए उच्च शिक्षा निदेशक, सभी राज्य एवं निजी विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों और क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर वेतन जारी करने के निर्देश दिए हैं।
शासन तक शिकायत पहुंची है कि कई राज्य एवं निजी विश्वविद्यालयों, राजकीय महाविद्यालयों, अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों और स्वत्ति पोषित महाविद्यालयों के शिक्षकों को वेतन का भुगतान नहीं हुआ है। कोविड की चुनौतियों का सामना करते हुए शिक्षक ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से छात्र-छात्राओं को पढ़ा रहे हैं। तमाम शिक्षक कोरोना संक्रमित हो गए हैं। विपरीत परिस्थितियों में काम करने के बावजूद शिक्षकों का वेतन फंसा हुआ है।
इस मामले में विशेष सचिव अब्दुल समद की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि राजकीय/अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों का वेतन भुगतान राजकीय कोष से और स्ववित्त पोषित महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों का वेतन भुगतान प्रबंधतंत्र द्वारा किया जाता है। कोविड-19 संक्रमण काल में शिक्षकों का समय से वेतन भुगतान न किया जाना अत्यंत खेदजनक है। विशेष सचिव ने निर्देश दिए हैं कि सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों में शिक्षकों/कार्मिकों का वेतन भुगतान सुनिश्चित किया जाए। अगर किसी शिक्षक का वेतन भुगतान समय से नहीं किया जाता है तो संबंधित अधिकारी की जिम्मेदारी निर्धारित करते हुए कार्रवाई की जाएगी।
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