ईएल की मांग को लेकर बेसिक शिक्षकों ने ट्विटर पर फिर उठाई मांग
बेसिक शिक्षा परिषद के "स्वतः स्फूर्त शिक्षक" प्रदेश सरकार से अपनी समस्याओं के निराकरण वास्ते पिछले काफी समय से माननीय योगी जी मुख्यमंत्री एवं बेसिक शिक्षा मंत्री श्री सतीश द्विवेदी जी को टैग करके ट्विटर पर मुहिम चला रहे हैं।
आज सोमवार 28 जून को भी प्रदेश भर के बेसिक शिक्षकों ने एकस्वर में #TeachersNeedEL व #SummerVacationIsHoax को कुछेक मिनटों में ही ट्विटर पर टॉप ट्रेंड्स में शामिल कराते हुए, इन्होंने सरकार से समाधान की उम्मीद में अर्जित अवकाश की माँग बुलन्द की है।
आज कहीं भी भीड़ लगाना कोरोना को न्योता हो सकता है, इसलिए ट्विटर पर हरेक सोमवार को शिक्षक अपनी किसी समस्या अथवा जरूरत के मुद्दे को ट्रेंड करवाकर सरकार से सुधार का अनुरोध करते हैं। पिछले 2 सप्ताह से ट्विटर पर यह शिक्षक अपने लिए अर्जित अवकाश E.L. की माँग कर रहे हैं।
उनका कहना है कि मई जून में ही प्रतिवर्ष यूडाइस प्रारूप, अभिभावक के डिटेल्स अपडेशन, बच्चों के बैंक खाते, कन्वर्जन कॉस्ट वितरण, शिक्षकों के ऑनलाइन व ऑफलाइन विभागीय ट्रेनिंग्स, हाउसहोल्ड सर्वे, बी.एल.ओ., निर्माण एवं मरम्मत कार्य, स्कूल भवनों की साफ सफाई का तो बाकायदा आदेश निकाल दिया गया है कि यह कार्य जून में ही होंगे, इसके साथ ही कभी बच्चों की ड्रेस तो कभी जूता मोजा, कभी मानव सम्पदा, कभी प्रेरणा पोर्टल , कभी आधार अपडेट्स आदि अनेकों कार्य के लिए स्कूल, तो कभी बी.आर.सी. बुलाकर कार्य करवाया ही जाता है। इन सभी कार्यों के बदले उनको विधिसम्मत उपार्जित अवकाश की स्वीकृति भी नही की जाती है।
वर्तमान में उनको मात्र 14आकस्मिक अवकाश ही देय हैं , एवं ग्रीष्मावकाश की छुट्टियाँ उनके किसी काम की नही हैं इसलिए उनका पारिवारिक सामाजिक जीवन नष्ट हो रहा है। रिश्तेदारों के दुःख दर्द अथवा मांगलिक कार्यों में शामिल न हो पाने से उनसे दूरी बन रही है एवं सामाजिक दूरी व पारिवारिक तानाबाना बिगड़ रहा है।
यह कतई सम्भव नही है कि किसी व्यक्ति के सभी व्यक्तिगत यथा माता-पिता, पत्नी बच्चों का इलाज, बच्चों के स्कूल की पेरेंट्स मीटिंग, मांगलिक कार्य अथवा रिश्तेदारों की अंतिम क्रिया आदि कार्य मात्र 14 दिन में पूर्ण किये जा सकें।
इसी दबाव में C.L. को वक्त जरूरत वास्ते बचाने के चक्कर मे अध्यापक बड़ी संख्या में सड़क दुर्घटना में घायल होने से मृत्यु तक को प्राप्त हो रहे हैं। बड़ी संख्या में लोग गैर जनपदों में भी नियुक्त है, वे इन्ही कारणों से परिवार माता पिता, परिजनों के इलाज आदि में साथ नही रह पाते अवसाद की स्थिति में हैं, पारिवारिक विघटन हो रहा है।
शिक्षकों का मानना है कि इस सब का निदान यही है कि उनको भी अन्य सरकारी कार्मिकों की भाँति प्रतिवर्ष 30 अर्जित अवकाश E.L. दिए जाएं, भले ही इसके लिए कतई अनुपयोगी ग्रीष्मावकाश को ही खत्म करना पड़े। अर्जित अवकाश देय होने से वक्त जरूरत पर वे स्वेच्छा से उपभोग कर परिवार व नौकरी के बीच बेहतर तालमेल भी बिठा पाएंगे, जिससे उनकी क्षमताओं, शिक्षण गुणवत्ता में भी वृद्धि होगी। यह "स्वतः स्फूर्त शिक्षक" पूर्व में भी तर्कसंगत सामूहिक बीमा, कैशलेश चिकित्सा की माँग भी ज़ोरदार तरीके से उठा चुके हैं।
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