नौकरी देने में बेसिक शिक्षा विभाग सबसे अव्वल, उच्चतर सबसे सुस्त, एक रपट
कोरोना का असर कम होने के साथ युवा भर्तियां शुरू करने का दबाव बना रहे हैं। कोरोना के कारण पिछले लगभग सवा साल से चयन संस्थाओं का कामकाज बहुत प्रभावित रहा। अब विधानसभा चुनाव में महज छह महीने बचे देख युवा जोरदार तरीके से मांग उठा रहे हैं। इसी का नतीजा है कि सरकार ने 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में शेष तकरीबन छह हजार पदों पर नियुक्ति के लिए तीसरी काउंसिलिंग की समय सारिणी जारी कर दी। ऐसे में प्रस्तुत है पिछले दो-तीन वर्षों में विभिन्न संस्थाओं के चयन की रिपोर्ट:
बेसिक शिक्षा परिषद ने 1.08 लाख शिक्षकों की नियुक्ति की
चयन के लिहाज से देखा जाए तो बेसिक शिक्षा परिषद ने पिछले तीन सालों में सर्वाधिक एक लाख से अधिक अभ्यार्थियों का सहायक अध्यापक पद पर चयन किया 68500 शिक्षकों की भर्ती के लिए 2018 की परीक्षा के आधार पर 45472 और 2019 में शुरू हुई 69000 भर्ती में अब तक 63 हजार को नियुक्ति दी जा चुकी है। शेष छह हजार पदों पर 30 जून को नियुक्ति पत्र दिया जाएगा।
लोक सेवा आयोग ने दो साल में 22870 को दी नौकरी
कोरोना काल में भी लोक सेवा आयोग ने अच्छा काम किया। जुलाई 2019 से अप्रैल 2021 तक 21 महीने में 22870 चयन किया। 17 अप्रैल को पूर्व अध्यक्ष डॉ. प्रभात कुमार की विदाई के बाद से कोई खास परिणाम जारी नहीं हुआ।
चयन बोर्ड ने तीन वर्षों में 10671 को दी नौकरी
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने तीन साल से अधिक समय में 10761 को नौकरी दी। 9 अप्रैल 2019 को वर्तमान बोर्ड के गठन के बाद से प्रशिक्षित स्नातक के 8410, | प्रवक्ता के 1756 और पूर्व से लंबित प्रधानाचार्यों के 505 का चयन किया। हालांकि प्रधानाचार्य भर्ती 2011 के सात मंडल और 2013 भर्ती का साक्षात्कार अब तक नहीं हो सका है।
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने 4 साल में बहुत कम नियुक्ति की
भर्ती के मामले में उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की गति सबसे सुस्त रही। अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में पिछले चार साल में गिनती की नियुक्तियां हुई। विज्ञापन संख्या 46 के अंतर्गत 45 विषयों में 1652 और विज्ञापन संख्या 47 के 35 विषयों में 1150 पदों पर चयन किया जा सका। काफी जद्दोजहद के बाद विज्ञापन संख्या 50 में 2003 पदों पर भर्ती शुरू हुई लेकिन उसकी परीक्षा तिथि तक तय नहीं हो सकी है।
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