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Sunday, July 4, 2021

राज्य विश्वविद्यालयों में स्नातक के 70% पाठ्यक्रम होंगे समान, चालू सत्र से लागू होगी व्यवस्था, विवि तय करेंगे 30 फीसदी पाठ्यक्रम

राज्य विश्वविद्यालयों में स्नातक के 70% पाठ्यक्रम होंगे समान, चालू सत्र से लागू होगी व्यवस्था, विवि तय करेंगे 30 फीसदी पाठ्यक्रम

लखनऊ : राज्य विश्वविद्यालयों में स्नातक में न्यूनतम समान पाठ्यक्रम चालू शैक्षिक सत्र 2021-22 से ही लागू होगा। इसके तहत विश्वविद्यालयों को कला, वाणिज्य व विज्ञान संकाय में स्नातक के 70 फीसदी पाठ्यक्रम समान रखने होंगे। हालांकि शेष 30 फीसदी पाठ्यक्रम विवि खुद तय कर सकेंगे। जबकि स्नातक (शोध), स्नातकोतर और पीएचडी न्यूनतम में समान पाठ्यक्रम व्यवस्था शैक्षिक सत्र 2022-23 से लागू किया जाएगा। उच्च शिक्षा विभाग ने न्यूनतम समान पाठ्यक्रम को अंतिम रूप दे दिया है। साथ ही सभी राज्य विश्वविद्यालयों को चालू शैक्षिक सत्र से इसे लागू करने के निर्देश दिए हैं।


एक वर्ष के सर्टिफिकेट, दो वर्ष के डिप्लोमा, तीन वर्ष के स्नातक डिग्री, चार वर्ष के स्नातक (शोध सहित ) डिग्री, पांच वर्ष के स्नातकोतर डिग्री, दो साल के स्नातकोतर डिग्री और पीएचडी में समान पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा उच्च शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव मोनिका एस. गर्ग ने सभी राज्य विश्वविद्यालयों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2021 के तहत एक महीने में प्रवेश नियमावली प्रक्रिया और समयसारिणी तय करने के निर्देश दिए हैं। जिससे विद्यार्थी प्रवेश के समय अपने विषयों का चयन में कोई परेशानी न हो।

स्नातक में प्रवेश के समय चुनना होगा एक संकाय

स्नातक में दाखिले के समय विद्यार्थियों को कला, विज्ञान या वाणिज्य में से एक संकाय का चुनना होगा। इसके बाद उस संकाय के दो मुख्य विषयों चुनने होंगे। तीसरे विषय का चयन विद्यार्थी किसी भी अन्य संकाय या अपने मूल संकाय में से कर सकेंगे। विद्यार्थी स्नातक द्वितीय व तृतीय वर्ष में मुख्य विषय बदल सकेंगे या उनके क्रम में परिवर्तन कर सकेंगे। विद्यार्थियों को विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में उपलब्ध विषय के आधार पर विषय परिवर्तन की सुविधा मिलेगी। स्नातकोतर प्रथम वर्ष में एक प्रश्न पत्र का चयन अन्य संकाय से करना होगा। इसके अतिरिक्त प्रत्येक विद्यार्थी को स्नातक के तीन वर्षों के प्रत्येक सेमेस्टर में खाद्य एवं पोषण, स्वास्थ्य एवं सफाई, शारीरिक शिक्षा, मानवीय मूल्य एवं पर्यावरण अध्ययन, विश्लेषणात्मक क्षमता एवं डिजिटल जागरूकता, संवाद कौशल एवं व्यक्तित्व विकास के सह-शैक्षणिक पाठ्यक्रम में से एक पाठ्यक्रम का अध्ययन करना होगा।

विश्वविद्यालय स्तर पर होगा संकायों का गठन

विवि में कला, विज्ञान और वाणिज्य प्रमुख संकाय हैं। जबकि भाषा संकाय एवं ग्रामीण अध्ययन संकाय को बहुविषयकता के लिए अलग संकाय माना जाएगा। मगर उन्हें डिग्री कला संकाय (बीए) की मिलेगी। विभिन्न महाविद्यालयों में जो संकाय एवं प्रशासनिक व्यवस्था चल रही है, वह चलती रहेगी। संकायों का गठन विवि स्तर पर तय किया जाएगा। वहीं, एक विषय के विभिन्न थ्योरी, प्रैक्टिकल के कोर्स को एक प्रश्न पत्र कहा जाएगा। जबकि थ्योरी और प्रैक्टिकल के प्रश्न पत्रों का कोड अलग-अलग होगा।

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