DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बागपत बाँदा बांदा बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लख़नऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Friday, July 2, 2021

विद्यालयों में पढ़ाई शुरू होने तक पंचायतों में टीवी पर चलेगी क्लास

ऑनलाइन पढ़ाई में ढिलाई पर संसदीय समिति ने उठाये सवाल, स्मार्ट फोन की जगह सेटेलाइट टीवी के जरिये पढ़ाने का सुझाव

विद्यालयों में पढ़ाई शुरू होने तक पंचायतों में टीवी पर चलेगी क्लास, शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने दिया सुझाव


’>>शिक्षा मंत्रलय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने दिया सुझाव

’>>सभी छात्रों तक आनलाइन शिक्षा की पहुंच बनाने को समिति ने बुलाई थी अहम बैठक

’>>उप्र, बिहार समेत आधा दर्जन राज्य सेटेलाइट चैनेल की सुविधा के इस्तेमाल पर राजी


नई दिल्ली: कोरोना काल में बच्चों को घर बैठे पढ़ाने के लिए शुरू हुई आनलाइन शिक्षा को सभी की पहुंच में लाने के लिए शिक्षा मंत्रलय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने शुक्रवार को सरकार को एक अहम सुझाव दिया है। जिसमें कहा गया कि जब तक कोरोना संक्रमण की स्थिति सामान्य नहीं होती और स्कूल नहीं खुलते तब तक बच्चों को आनलाइन पढ़ाने के लिए सभी ग्राम पंचायतों में एक बड़ा टेलीविजन लगाया जाए। जिसे खुली जगह या फिर किसी बड़े सभागार में लगाया जाए। जहां स्मार्ट फोन या टीवी से वंचित बच्चे निर्धारित समय पर आकर अपनी पढ़ाई कर सकें।

शिक्षा मंत्रलय की इस संसदीय समिति ने इस दौरान दिव्यांग बच्चों का भी ख्याल रखने का सुझाव दिया। खास बात यह है कि समिति ने आनलाइन शिक्षा को लेकर यह पहल तब की जब हाल ही में आई रिपोर्ट में यह सामने आया कि सिर्फ तीस फीसद बच्चों के पास ही स्मार्ट फोन या इंटरनेट जैसी सुविधाएं हैं। ऐसे में बाकी बच्चों की पढ़ाई नहीं हो रही है।

समिति ने इसके बाद ही मंत्रलय से आनलाइन पढ़ाई से जुड़ा पूरा ब्योरा तलब किया। जिसके बाद आनलाइन पढ़ाई में ढिलाई दिखाने वाले आधा दर्जन राज्यों को पहले चरण में तलब भी किया। आने वाले दिनों में कुछ और राज्यों को भी इस मामले में तलब किया जाएगा।

भाजपा के वरिष्ठ नेता और संसदीय समिति के अध्यक्ष डाक्टर विनय सहस्रबुद्धे की अगुवाई में हुई इस बैठक में समिति ने आनलाइन शिक्षा को सभी तक पहुंचाने के लिए सेटेलाइट चैनेल की सुविधा का इस्तेमाल करने का भी सुझाव दिया। साथ ही इसरो और प्रसार भारती से भी इस पर राय ली। खास बात यह है कि इसरो की मदद से शिक्षा के लिए सेटेलाइट चैनेल की सुविधा मुहैया कराई जाती है। आनलाइन शिक्षा को लेकर ढिलाई दिखाने के मामले में तलब किए उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश और तेलंगाना से जानकारी ली गई। उनसे पूछा गया कि वे सेटेलाइट चैनेल की सुविधा का इस्तेमाल क्यों नहीं कर रहे हैं। इस पर राज्यों ने भरोसा दिया, कि वे जल्द ही इसे शुरू करेंगे।


2022 में परीक्षा न होने पर नए पैटर्न से होगा मूल्यांकन

समिति ने इस दौरान शिक्षा मंत्रलय से 2022 की परीक्षा तैयारियों को लेकर भी सवाल पूछा। जिस पर मंत्रलय ने बताया कि स्थिति सामान्य रही तो परीक्षाएं होंगी। बावजूद इसके इस बार मूल्यांकन की एक नई प्रक्रिया पर काम हो रहा है, जिसे परीक्षा न होने की स्थिति में इस्तेमाल में लाया जाएगा। इसे पहले से ही तैयार रखा जाएगा, ताकि बाद में भ्रम की स्थिति पैदा न होने पाए। इसके प्रयास तेज किए जाएं



कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए स्कूल-कालेज बंद हैं और बच्चों के पास आनलाइन पढ़ाई ही एकमात्र विकल्प है। ऐसे में सभी बच्चों तक इसकी पहुंच न होने को लेकर शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थाई समिति ने गंभीर सवाल उठाए हैं। समिति का कहना है कि स्मार्ट फोन और इंटरनेट जैसी सुविधा अभी सिर्फ 30 फीसद बच्चों के पास है। ज्यादातर राज्यों में आनलाइन पढ़ाई इसके जरिये ही कराई जा रही है। ऐसे में बाकी के करीब 70 फीसद बच्चे इससे वंचित हैं।


उत्तर प्रदेश, बंगाल सहित आधा दर्जन राज्यों के शिक्षा सचिवों किया तलब

फिलहाल समिति ने इस मामले में राज्यों को जवाबदेह माना है। साथ ही उत्तर प्रदेश, बंगाल सहित करीब आधा दर्जन राज्यों के शिक्षा सचिवों को तलब किया है। शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थाई समिति ने इस संबंध में अहम बैठक शुक्रवार को रखी है। इसमें प्रसार भारती और इसरो के अधिकारियों को भी बुलाया है। समिति का मानना है कि कोरोना काल में सभी बच्चों को पढ़ाने के लिए राज्य कुछ और बेहतर कर सकते हैं। इस मामले में समिति ने गुजरात और ओडिशा में बच्चों को पढ़ाने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे सेटेलाइट चैनल का उदाहरण दिया है। साथ ही सभी राज्यों से इसी तर्ज पर प्रयास करने का सुझाव दिया है।

संसद की स्थाई समिति की बैठक आज

सूत्रों के अनुसार, समिति इससे पहले सभी राज्यों को ऐसा करने का सुझाव दे भी चुकी है। हालांकि राज्यों ने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। माना जा रहा है कि आनलाइन पढ़ाई में ढिलाई पर राज्यों से सवाल-जवाब भी किया जा सकता है। समिति का कहना है कि सालाना दो से ढाई करोड़ के खर्च में ही इन सेटेलाइट चैनलों को शुरू किया जा सकता है। समिति ने जिन प्रमुख राज्यों के शिक्षा सचिवों को तलब किया है, उनमें उत्तर प्रदेश, बंगाल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश जैसे राज्य शामिल हैं।

एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी देंगे प्रजेंटेशन

समिति से जुड़े एक वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि शुक्रवार को बुलाई गई बैठक में सेटेलाइट एजुकेशन चैनल को संचालित करने वाली एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारियों को भी बुलाया गया है। वे इस संबंध में प्रजेंटेशन देंगे। बैठक में समिति आनलाइन शिक्षा को लेकर शिक्षा मंत्रालय और राज्यों की ओर से उठाए गए कदमों की भी जानकारी लेगी, जिसमें वन क्लास-वन चैनल का प्रस्ताव भी शामिल है।

No comments:
Write comments