चरणबद्ध तरीके से खोले जाएं स्कूल, अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन ने रखी मांग
निजी स्कूलों में 19 जुलाई से पढ़ाई की तैयारी, शासन को दिया प्रस्ताव
लखनऊ : सुरक्षा के साथ 19 जुलाई से स्कूलों में पढ़ाई की तैयारी शुरू हो गई है। तीन घंटे की कक्षा संचालित करने का प्रस्ताव है।
स्कूल संचालकों का कहना है कि संक्रमण का खतरा अब कम हुआ है, ऐसे में स्कूल खोल देने चाहिए। वहीं अभिभावकों का कहना है कि जब सरकार कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए अलर्ट मोड में है तो ऐसे में स्कूल खोला जाना कहां तक वाजिब है।
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल का तर्क है कि जब सब कुछ सामान्य है तो सिर्फ बच्चों की पढ़ाई से समझौता क्यों? महामारी से पैदा हुए हालत के कारण करीब डेढ़ वर्ष से पढ़ाई आनलाइन है, मगर अब जब लखनऊ में बीते एक सप्ताह से संक्रमण के मामले में भी सामने नहीं आए हैं तो स्कूल खोलने पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
अगर तीसरी लहर को लेकर कोई संकेत सामने आते हैं तो स्कूल पुन: बंद कर दिए जाएंगे। सरकार अनुमति देती है तो स्कूलों में छह से आठ तक की कक्षाएं सुबह दस से एक बजे (तीन घंटे) तक लगेंगी। कक्षा में सिर्फ 20 बच्चों को ही बैठाया जाएगा। छात्रों की संख्या अधिक रहती है तो आनलाइन क्लास संचालित होगी। बच्चों को स्कूल भेजने के लिए अभिभावकों की ओर से लिखित अनुमति लेनी जरूरी होगी।
डीआइओएस मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि यह निर्णय सरकार का है। अभी इस बाबत कुछ भी कहना उचित नहीं होगा।
लखनऊ। कोरोना संक्रमण काबू होते ही निजी स्कूलों को फिर से ऑफलाइन पढ़ाई के लिए खोलने की मांग तेज होने लगी है। इस संबंध में बुधवार को निजी स्कूलों के संगठन अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन ने डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा से वार्ता कर प्रस्ताव सौंपा हैं, जिसमें 19 जुलाई से स्कूलों को चरणबद्ध तरीके से खोलने की पूरी रूपरेखा अंकित हैं। संगठन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि स्कूल खोले जाने को लेकर सरकार का रुख सकारात्मक है। प्रदेश में कोरोना संक्रमण को काफी नियंत्रित किया जा चुका है, जिसकी वजह से अब बाजार, मॉल, सिनेमा हॉल खुल गए हैं। ऐसे में अब स्कूल भी ऑफलाइन पढ़ाई के लिए खोले जाने चाहिए।
कोरोना की वजह से स्कूलों में भौतिक रूप से पढ़ाई मार्च से बंद हैं। प्रस्ताव में पहले चरण के तहत 19 जुलाई से सीनियर कक्षाओं को खोलने की मांग की गई है। वहीं, दो अगस्त से कक्षा एक से आठ तक,
16 अगस्त से प्री प्राइमरी व प्री स्कूल खोले जाने की अनुमति मांगी है। इस पर डिप्टी सीएम ने आश्वस्त किया कि शासन जो भी कोविड प्रोटोकॉल जारी करेगा सभी निजी स्कूल उसका पालन करेंगे.
ऑनलाइन पढ़ाई में कई व्यावहारिक समस्याएं
स्कूलों के अनुसार ऑफलाइन पढ़ाई का मुकाबला ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर सकती। भले ही आज तकनीक अच्छी हैं और संसाधन भी हैं, लेकिन यह सभी छात्रों की पहुंच से दूर हैं। स्कूलों के अनुसार ऑनलाइन पढ़ाई थोड़ी खर्चीली है, भले ही कई निजी स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई के अच्छे संसाधन हैं, बावजूद 20 प्रतिशत छात्र इंटरनेट कनेक्टिविटी न होने से अच्छे से नहीं पढ़ पाते। वहीं, 20 प्रतिशत छात्र पढ़ाई में बिल्कुल भी रुचि नहीं दिखा रहे। ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई से 40 प्रतिशत छात्र तो दूर ही हैं। यही छात्र जब स्कूल आएंगे तो बेहतर ढंग से पढ़ पाएंगे। स्कूलों के अनुसार ऑनलाइन पढ़ाई में जो छात्र उपस्थित रहते हैं उनमें से यह पता नहीं चल पाता कि कौन गंभीरता से ध्यान दे रहा है। उपस्थित रहने के बावजूद शिक्षक जब छात्र को चार-चार बार बोलते हैं तब वे जवाब देते हैं। शिक्षकों के अनुसार ऑनलाइन कक्षा और ऑफलाइन कक्षा के तरीके अलग अलग हैं। कई ऐसी व्यवहारिक समस्याएं हैं, जिन्हें तकनीक से हल नहीं किया जा सकता।
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