यूपी बोर्ड परीक्षा : बिना परीक्षा कराए यूपी बोर्ड ने रचा इतिहास, बोर्ड के 100 वर्षों के इतिहास में सर्वश्रेष्ठ रहा हाईस्कूल, इंटरमीडिएट का परिणाम
पिछले साल के मुकाबले हाईस्कूल में घटी और इंटर में बढ़ी परीक्षार्थियों की संख्या
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यूपी बोर्ड ने इस बार बिना परीक्षा कराए इतिहास रच दिया। बोर्ड के 100 वर्षों के इतिहास में इस बार सर्वाधिक हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में सर्वाधिक छात्र-छात्राओं ने सफलता हासिल की। पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार हाईस्कूल का परिणाम 16.22 और इंटरमीडिएट का परिणाम 23.25 फीसदी अधिक रहा। यूपी बोर्ड के इतिहास में किन्हीं भी दो वर्षों के अंतराल में सफलता का ग्राफ इतनी तेजी से कभी नहीं बढ़ा।
यूपी बोर्ड शताब्दी वर्ष मना रहा है। शताब्दी समारोह को लेकर व्यापक पैमाने पर तैयारी की गई थी, लेकिन कोविड के कारण सबकुछ स्थगित कर दिया गया। शताब्दी वर्ष अब सिर्फ इसलिए याद रखा जाएगा कि यूपी बोर्ड ने बिना परीक्षा लाखों छात्रों का रिजल्ट जारी कर दिया और बोर्ड के इतिहास में पहली बार तकरीबन शत-प्रतिशत विद्यार्थियों ने सफलता हासिल की। इससे पूर्व वर्ष 1992 के रिजल्ट ने इतिहास रचा था, जब हाईस्कूल में महज 14.70 फीसदी परीक्षार्थी पास हुए थे और इंटमीडिएट का परिणाम भी केवल 30.30 फीसदी था।
पिछले साल से तुलना करें तो वर्ष 2020 में हाईस्कूल का रिजल्ट 83.31 फीसदी और इंटरमीडिएट का 74.63 फीसदी था, जो इस बार बढक़र क्रमश: 99.53 फीसदी और 97.88 फीसदी हो गया। वहीं, पिछले साल की तुलना में हाईस्कूल में पंजीकृत छात्रों की संख्या कम हुई है और इंटरमीडिएट में बढ़ी है। वर्ष 2020 में हाईस्कूल में तीस लाख 24 हजार 480 परीक्षार्थी और इस वर्ष 29 लाख 96 हजार 31 विद्यार्थी पंजीकृत थे। वहीं, इंटरमीडिएट में वर्ष 2020 में 25 लाख 86 हजार 339 और इस वर्ष 26 लाख 10 हजार 247 विद्यार्थी पंजीकृत थे।
इस वर्ष पंजीकृत विद्यार्थियों में तकरीबन सभी उत्तीर्ण घोषित कर दिए जाएंगे,ख्यह पहले से ही स्पष्ट हो चुका था और यह भी तय था कि बोर्ड हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के रिजल्ट को इतिहास रचने जा रहा है। बोर्ड के सूत्रों का कहना है कि रिजल्ट कुछ दिनों पहले ही तैयार कर लिया गया था, लेकिन बोर्ड के अधिकारी सीबीएसई के परिणाम का इंतजार कर रहे थे। इससे पहले भी सीबीएसई ने जब परीक्षा निरस्त की थी तो उसके बारद यूपी बोर्ड ने परीक्षा निरस्त करने का निर्णय लिया था।
छात्र-छात्राओं के बीच घटा सफलता का फासला
यूपी बोर्ड के वर्ष 2021 के हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट के परिणाम में छात्र-छात्राओं के बीच सफलता का फसला काफी कम हो गया। हाईस्कूल में छात्राओं को उत्तीर्ण प्रतिशत छात्रों के मुकाबले 0.03 और इंटरमीडिएट में 0.93 अधिक रहा। वहीं, पिछले वर्ष हुई परीक्षा में यह फासला अधिक था। वर्ष 2020 में हाईस्कूल में छात्राओं का उत्तीर्ण प्रतिशत छात्रों की तुलना में 7.41 और इंटरमीडिएट में 13.08 अधिक था।
70 हजार परीक्षार्थियों केरिजल्ट में फंस गया था पेच
यूपी बोर्ड का रिजल्ट तैयार होने के बाद तकनीकी गड़बड़ी के कारण तकरीबन 70 हजार परीक्षार्थियों केरिजल्ट में पेच फंस गया था। सूत्रों के मुताबिक, तकनीकी गड़बड़ी की वजह से इन अभ्यर्थियों को पूर्णांक से अधिक अंक मिल गए थे। मामला सामने आने पर संशोधन केबाद रिजल्ट जारी किया गया। हालांकि इस बारे में यूपी बोर्ड केअफसर कुछ बोलने से इंकार कर रहे हैं।
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