डीएलएड प्रशिक्षण 2021 के लिए सवा लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों ने किया ऑनलाइन आवेदन
दो वर्षीय डीएलएड में खाली रह जाएंगी एक लाख से ज्यादा सीटें
डीएलएड प्रशिक्षण 2021 के लिए सवा लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों ने ऑनलाइन आवेदन किया है। शुल्क जमा करने की अंतिम तिथि बुधवार और भरे गए आवेदन का प्रिंट लेने की अंतिम तिथि गुरुवार तय की गई है।
सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी संजय कुमार उपाध्याय ने बताया कि मंगलवार शाम 6 बजे तक 164197 अभ्यर्थियों ने ऑनलाइन नामांकन कराया है। जबकि 125303 अभ्यर्थी पूर्ण रूप से आवेदन कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन आवेदन में अंकित प्रविष्टियों में संशोधन के लिए अभ्यर्थियों को अवसर नहीं मिलेगा। इसलिए आवेदन पंजीकरण करते समय अभिलेखों को अवश्य मिला लें।
दो वर्षीय डीएलएड में खाली रह जाएंगी एक लाख से ज्यादा सीटें
प्रयागराज : दो वर्षीय प्रशिक्षण पाठ्यक्रम डिप्लोमा इन फिजिकल एजुकेशन (डीएलएड) में प्रवेश के लिए अभ्यर्थियों में क्रेज घट गया है। प्रदेश भर में कुल करीब 2,42,200 सीटों के लिए मंगलवार को अंतिम तिथि तक महज 1,25,303 आवेदन ही आए। इसके लिए 20 जुलाई से आवेदन लिए जा रहे थे। पिछले साल कोरोना महामारी के चलते प्रवेश नहीं लिए गए थे। उसके पहले भी दो साल स्थिति खराब ही रही थी, जिसके कारण सीटें भरी नहीं जा सकी थीं।
डीएलएड-2021 में प्रवेश के लिए परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने विज्ञापन जारी कर अभ्यर्थियों से आनलाइन आवेदन मांगे थे। इसके लिए अंतिम तिथि 10 अगस्त निर्धारित की गई थी। प्रदेश भर में कुल सीटों के सापेक्ष 1,16,303 आवेदन कम आए। ऐसे में यदि सभी आवेदकों को प्रवेश दे दिया जाए, तब भी सीटें खाली ही रहेंगी। हालांकि 1,64,197 अभ्यर्थियों ने इसके लिए रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन इनमें से कई ने अंतिम आवेदन नहीं किया। अभ्यर्थियों का प्रवेश जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, सीटीई वाराणसी तथा एनसीटीई से मान्यता के बाद संबद्ध निजी डीएलएड प्रशिक्षण संस्थान में किया जाना है। प्रवेश मेरिट के आधार पर किए जाएंगे।
सीट की अपेक्षा कम आवेदन की स्थिति इसके पहले भी रही है। वर्ष 2020 में कोरोना संक्रमण के चलते सत्र शून्य रहा। इसके पहले 2019 के सत्र में 69,515 सीटें खाली रह गई थीं, जबकि वर्ष 2018 में 76,929 सीटें रिक्त रह गई थीं। कम आवेदन को लेकर परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव संजय उपाध्याय का मानना है कि इसका प्रमुख कारण कोरोना महामारी के चलते विश्वविद्यालयों का रिजल्ट प्रभावित होना है। इसके साथ ही अभ्यर्थियों का झुकाव बीएड की ओर होना भी एक कारण है।
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