शैक्षिक रूप से 374 पिछड़े जिलों पर रहेगा खास फोकस, खोले जाएंगे नए डिग्री कालेज
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अमल के साथ सरकार का फोकस देश के शैक्षिक रूप से पिछड़े उन 374 जिलों पर भी है जहां मौजूदा समय में उच्च शिक्षा के साथ स्कूली शिक्षा का भी सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) राष्ट्रीय औसत से काफी कम है।
नई दिल्ली । नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अमल के साथ सरकार का फोकस देश के शैक्षिक रूप से पिछड़े उन 374 जिलों पर भी है, जहां मौजूदा समय में उच्च शिक्षा के साथ स्कूली शिक्षा का भी सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। ऐसे में शिक्षा मंत्रालय इन जिलों में राज्यों के साथ मिलकर विशेष मुहिम शुरू करने की तैयारी में जुटा है। इस दौरान इन सभी जिलों में समग्र शिक्षा सहित उच्च शिक्षा से जुड़ी योजनाओं को प्राथमिकता से लागू किया जाएगा। साथ ही इन जिलों को शैक्षिक पिछड़ेपन से मुक्ति दिलाने की समयसीमा भी तय की जाएगी।
यूजीसी ने देश के 374 जिलों को किया है चिह्नित, इनमें उत्तर प्रदेश के भी 41 जिले हैं शामिल
शैक्षिक रूप से पिछड़े जिलों को चिह्नित करने का यह काम विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने किया है। इन जिलों को जिन प्रमुख मानकों के आधार पर चुना गया है उनमें सकल नामांकन दर का राष्ट्रीय औसत से कम होना, जिले की 18 से 23 वर्ष की कुल जनसंख्या में महाविद्यालयों का अनुपात और प्रति महाविद्यालय के औसत नामांकन शामिल हैं। इनमें अकेले उत्तर प्रदेश के 41 जिले शामिल हैं। वहीं बिहार के 25 जिले, मध्य प्रदेश के 39 जिले, पंजाब के 13 जिले और झारखंड के 12 जिले शामिल हैं।
इनमें समग्र शिक्षा सहित शिक्षा मंत्रालय की अन्य योजनाओं को प्रमुखता से किया जाएगा लागू
शिक्षा मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, शैक्षिक रूप से पिछड़े इन सभी जिलों के लिए जल्द ही राज्यों के साथ मिलकर मंत्रालय एक अभियान शुरू करने की तैयारी में है। वैसे भी जब राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सभी राज्यों में शैक्षणिक सुधार और बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने का काम चल रहा है, ऐसे में शैक्षिक रूप से पिछड़े जिलों पर विशेष फोकस रखा गया है।
सूत्रों के मुताबिक, इस मुहिम को भी आकांक्षी (विकास की दौड़ में पिछड़े) जिलों के पैटर्न पर शुरू करने की तैयारी है। जहां इसके अमल पर केंद्र पैनी नजर रखेगा। साथ ही इन सभी जिलों में नए डिग्री कालेजों को खोलने की पहल की जा सकती है। वैसे भी शैक्षिक रूप से पिछड़े जिले चिह्नित होने के बाद सरकार ने इनमें से 194 जिलों में माडल डिग्री कालेजों को खोलने की मंजूरी दी है।
इनमें से 64 जिलों में यह कालेज यूजीसी द्वारा और 130 जिलों में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत स्वीकृत किए गए हैं। मंत्रालय की कोशिश है कि इन कालेजों में जल्द ही पढ़ाई शुरू की जाए। स्कूली शिक्षा से जुड़ी समग्र शिक्षा योजना के नए चरण में इन जिलों पर फोकस करने की तैयारी है।
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