यूपी बोर्ड : परीक्षा शुल्क 500 रुपये प्रधानाचार्यों को चवन्नी, बोर्ड परीक्षा फीस बढ़ी, प्रधानाचार्य के खर्च का हिस्सा यथावत
◆ प्रति छात्र प्रधानाचार्य को खर्च करने पड़ते हैं दस रुपये से ज्यादा
◆ बोर्ड परीक्षा फीस बढ़ी, प्रधानाचार्य के खर्च का हिस्सा यथावत
प्रयागराज : भले ही 25 पैसा या 50 पैसा चलन से बाहर हो चुका है, लेकिन उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ( यूपी बोर्ड) इसे अभी भी चला रहा है। परीक्षार्थियों से ली जाने वाली परीक्षा फीस तो बोर्ड बढ़ाता रहा, लेकिन फार्म भराने के खर्च के रूप में प्रति छात्र प्रधानाचार्यों को विगत कई वर्षों से 25 व 50 पैसा ही दे रहा है। वर्ष 2022 की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा के लिए भी प्रधानाचार्य को वही चवन्नी (25 पैसा) और अठन्नी ( 50 पैसा ) दिया जाना तय किया है। यह स्थिति तब है, जब प्रधानाचार्य को प्रति फार्म दस रुपये से ज्यादा खर्च करने पड़ते हैं। इससे प्रधानाचार्यों में रोष है।
यूपी बोर्ड ने वर्ष 2022 की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा तिथि जारी करने के साथ ही परीक्षा शुल्क का विवरण भी जारी किया है। इसके मुताबिक हाईस्कूल के संस्थागत छात्र-छात्राओं से 500 रुपये परीक्षा शुल्क लिया जाएगा। इसके अलावा एक रुपया अंकपत्र शुल्क और प्रधानाचार्य के प्रयोग के लिए 25 पैसा निर्धारित किया गया है। इसी तरह इंटरमीडिएट के लिए परीक्षा शुल्क 600 रुपया प्रति परीक्षार्थी लिया जाएगा। एक रुपया अंकपत्र शुल्क के साथ प्रधानाचार्य के प्रयोग के लिए 25 पैसा ही अनुमन्य है। यहां से शुरू होता है कालेजों के प्रधानाचार्य का दर्द कुछ साल पहले की बात करें तो बोर्ड परीक्षा शुल्क 197 से बढ़कर अब 500 और 600 रुपया पहुंच गया है, लेकिन प्रधानाचार्य के हिस्से में वही 25 पैसा कई वर्षों से आ रहा है। प्रधानाचार्य खुलकर कुछ नहीं बोल पा रहे हैं, लेकिन उनमें इस मानदंड को लेकर गहरी नाराजगी है। उनका कहना है कि एक एक परीक्षार्थी की फीडिंग, त्रुटि होने पर संशोधन, प्रिंटआउट कापी निकालकर डीआइओएस को प्रेषण सहित अन्य प्रक्रिया में बीस रुपये तक खर्च हो जाते हैं। वह कहते हैं कि कितनी भी किफायत की जाए तो भी दस रुपये से कम खर्च नहीं होता। उनका कहना है कि इस स्थिति को सुधारा जाना चाहिए।
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