सरकारी प्राइमरी स्कूलों में बच्चों की संख्या के फर्जीवाड़े पर विभाग एलर्ट, पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद सभी 75 जिलों में आधार प्रमाणीकरण लागू करने की तैयारी
सरकारी व सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या को लेकर होने वाला फर्जीवाड़ा बंद होगा। बेसिक शिक्षा विभाग अब पूरे प्रदेश में अपने विद्यार्थियों का आधार प्रमाणीकरण कराने जा रहा है। लखनऊ मण्डल में हुए पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद अब सभी 75 जिलों में इसे लागू किया जा रहा है। प्रदेश में कक्षा एक से आठ तक 1.80 करोड़ विद्यार्थी सरकारी व सहायताप्राप्त प्राइमरी-जूनियर स्कूलों में पढ़ते हैं।
40 हजार से ज्यादा डुप्लीकेट विद्यार्थी मिले
लखनऊ मण्डल में प्रमाणीकरण के दौरान 40,636 डुप्लीकेट विद्यार्थी मिले हैं, जिनका दो या इससे ज्यादा स्कूलों में नामांकन हैं। अब इनका नामांकन केवल एक स्कूल में रखने और इस आधार पर प्रेरणा पोर्टल का डाटाबेस सही कराया जा रहा है। आधार कार्ड और स्कूल में दर्ज नाम-पते को भी एक जैसा करने के निर्देश हैं। पूरे प्रदेश में इसे लागू करने के लिए श्रीटॉन इण्डिया ने प्रस्ताव मांगे गए हैं। एमओयू साइन होने के अंदर छह महीने में कंपनी को काम पूरा करना होना। जिन बच्चों की आधार संख्या है, उनका सत्यापन किया जाएगा। यदि आधार कार्ड नहीं है उनका आधार बनवा कर उन्हें डाटाबेस में शामिल किया जाएगा। प्रेरणा पेार्टल के मुताबिक प्रदेश में 40 लाख ऐसे बच्चे हैं, जिनका आधार कार्ड नहीं है।
फर्जी संख्या पर कसेगी नकेल
आधार संख्या के होने से वास्तविक विद्यार्थियों की संख्या का पता चल पाएगा। अभी भले ही 1.80 करोड़ बच्चे नामांकित हों लेकिन मिड डे मील खाने वाले केवल 55 से 60 फीसदी विद्यार्थी ही होते हैं। नामांकन बढ़ाने के लिए एक ही बच्चे का नामांकन कई स्कूलों में कर दिया जाता है। सरकार द्वारा निशुल्क यूनिफार्म, जूता-मोजा, स्वेटर, स्कूल बैग, पाठ्यपुस्तक आदि नामांकित विद्यार्थियों की संख्या के हिसाब से दिया जाता है। इस फर्जीवाड़े पर आधार प्रमाणीकरण से निजात मिलेगी।
क्या होता है आधार प्रमाणीकरण
इस प्रक्रिया में आधार संख्या के साथ जनसांख्यिकीय (जैसे नाम, जन्म तिथि , लिंग आदि) ब्यौरे व व्यक्ति की बायोमीट्रिक सूचना (फ़िंगरप्रिंट या आइरिस) का सत्यापन यूआईडीएआई से किया जाता है।
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