राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल में देरी राज्यों को पड़ेगी भारी, केंद्र का शिक्षा नीति को जल्द अपनाने पर है जोर
नई दिल्ली: राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल की तैयारियां जब तेजी से चल रही हैं, ऐसे समय में सरकार का पूरा फोकस पिछली गलतियों से सबक लेते हुए नई नीति को तय समय पर लागू करने की है। यही वजह है कि इसके अमल से जुड़ी एजेंसियां राज्यों को यह समझाने में भी जुटी हैं कि स्कूलों से ही बच्चों को स्किल और इनोवेशन से जोड़ने की पहल की जा रही है। जिन राज्यों के बच्चे इससे वंचित रह जाएंगे, वे इसे समय पर अपनाने वाले राज्यों के बच्चों के सामने प्रतिस्पर्धा में कैसे टिक पाएंगे? फिलहाल एजेंसियों की पहल के बाद ज्यादातर राज्यों ने शिक्षा नीति के अमल के लिए तैयार की गई समयावधि (टाइम फ्रेमवर्क) के साथ ही आगे बढ़ने का एलान किया है।
नीति को पूरी तरह से अमल को लेकर सरकार ने जो समयसीमा तय की है, उनमें वर्ष 2030 तक इसे पूरी तरह से लागू किया जाना है। हालांकि हरियाणा जैसे राज्य ने इसे तय लक्ष्य से पहले यानी वर्ष 2025 तक लागू करने का एलान किया है। इस बीच जिन राज्यों ने नीति को इसी शैक्षणिक सत्र से या फिर अगले शैक्षणिक सत्र से लागू करने का एलान किया है, उनमें कर्नाटक, असम, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा व उत्तराखंड जैसे राज्य शामिल हैं। बाकी राज्यों में भी इसे लेकर तैयारी चल रही है।
■ केंद्र का सभी राज्यों से नीति को जल्द अपनाने पर है जोर
■ नीति के अमल को लेकर एलान कर चुके हैं कई प्रदेश
■ नीति के अमल से जुड़ी दिक्कतों पर यूजीसी सतर्क
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को उच्च शिक्षण संस्थानों में लागू कराने में जुटा हुआ है। इसने फिलहाल सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से इसके अमल में आने वाली चुनौतियों को लेकर सुझाव मांगा है। साथ ही इसे लेकर बिंदु भी सुझाए हैं।
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