अधूरी गोपनीय आख्या व डीपीसी ने छीने सपने, GIC में नियुक्त अध्यापक नहीं पा सके पदोन्नति
नौकरी में आए तो सोचा था कि समय-समय पर पदोन्नति पाकर आगे बढ़ेंगे, लेकिन राजकीय इंटर कालेजों (जीआइसी) के तमाम सहायक अध्यापकों व प्रवक्ताओं की किस्मत ऐसी नहीं थी। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा विभाग की गोपनीय आख्या और उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की डीपीसी (विभागीय पदोन्नति कमेटी) में कई शिक्षक ऐसे फंसे हैं कि आज भी वहीं के वहीं हैं।
समय-समय पर पदोन्नति मिले तो जीआइसी में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्त शिक्षक राजपत्रित (गजटेड) पद तक पहुंच जाते हैं। गोपनीय आख्या और डीपीसी की प्रक्रिया समय पर पूरी न होने से राजकीय इंटर कालेज के कई सहायक अध्यापक प्रभावित और पीड़ित हैं।
इन्हीं में जीआइसी प्रयागराज में सहायक अध्यापक रामेश्वर प्रसाद पाण्डेय भी हैं। वह 1991 में चयनित हुए। इस तरह 30 साल सेवा इनकी हो रही है, लेकिन आज भी सहायक अध्यापक ही हैं। इनके जैसे कई शिक्षक प्रभावित हैं। ऐसा नहीं है कि पदोन्नति दिए जाने की प्रक्रिया चलती नहीं। चलती तो है लेकिन कभी अधूरी आख्या तो कभी लोक सेवा आयोग में डीपीसी में माध्यमिक शिक्षा के अधिकारियों के न पहुंचने से अटक जाती है।
अब राजकीय शिक्षक संघ पाण्डेय गुट के (महामंत्री) बन चुके रामेश्वर प्रसाद पांडेय ढिलाई का उदाहरण बताते हैं। 10 विषय के 794 सहायक अध्यापकों को पदोन्नति के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग (राजकीय) ने फरवरी-2021 में लोक सेवा आयोग को प्रमोशन सूची के साथ गोपनीय आख्या भेजी। आयोग ने आपत्ति लगाकर संशोधित भेजने को कहा।
इसका जवाब माध्यमिक शिक्षा विभाग ने जून में दिया। इसके बाद आयोग ने 29 जुलाई को डीपीसी करने की तिथि तय की, लेकिन माध्यमिक शिक्षा निदेशक के न आने से नहीं हो सकी। फिर अगस्त में तिथि तय हुई तो निदेशक ने विधानसभा सत्र चलने के कारण आने से असमर्थता जता दी।
इस पर लखनऊ में कार्यरत राजकीय शिक्षक संघ की अध्यक्ष छाया शुक्ला ने शिक्षा मंत्री को वस्तुस्थिति से अवगत कराया, तब उनकी अनुमति से निदेशक आए। इसमें गोपनीय आख्या अधूरी होने को लेकर डीपीसी कमेटी के चेयरमैन ने आपत्ति जताकर 15 दिन में इसे पूरी कराकर भेजने का समय दिया, जो पूरी नहीं हुई।
लोक सेवा आयोग ने निदेशालय को भेजा पत्र
लोक सेवा आयोग के संयुक्त सचिव ओम प्रकाश मिश्र ने 18 अगस्त 2021 को अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक नियुक्ति अनुभाग-दो को पत्र लिखा कि प्रवक्ता संवर्ग पुरुष में पदोन्नति के लिए 17 अगस्त की चयन समिति की बैठक में गोपनीय आख्या अधूरी थी, इसे शीघ्र पूरा कराकर भेजें। अब आयोग ने शिक्षा निदेशालय को पत्र लिखा है कि सात अक्टूबर को आयोग मुख्यालय में प्रोन्नति चयन समिति की बैठक होगी। कहा है कि गोपनीय आख्या पूरी कर अभी तक अभिलेख नहीं मिला है। इसे पांच अक्टूबर तक अवश्य भेजें।
GIC शिक्षक :प्रमोशन लेट होने से पेंशन में लाभ पाएंगे पर रुतबे से रह गए वंचित
प्रयागराज : विभागीय कामकाज में देरी नुकसान कर देती है। राजकीय इंटर कालेज के प्रवक्ताओं की विभागीय पदोन्नति (डीपीसी) में ऐसा ही हुआ।
करीब 25 प्रवक्ताओं को प्रधानाचार्य पद पर बुधवार को प्रोन्नति तो मिली, लेकिन सेवानिवृत्त हो जाने के बाद। इस तरह नियमानुसार वह पेंशन का लाभ तो पाएंगे, लेकिन प्रधानाचार्य के रूप में कालेज जाने का सम्मान और रुतबा पाने के अरमान मन में ही रह गए। राजकीय इंटर कालेजों में विभागीय पदोन्नति की रफ्तार इस कदर धीमी है कि प्रधानाचार्य पद के लिए 2013 के बाद 17 जनवरी 2018 को डीपीसी हुई।
करीब 25 प्रवक्ता बिना प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नत हुए ही सेवामुक्त हो गए। इनमें राजेंद्र प्रताप श्रीवास्तव, इंद्रजीत श्रीवास, रामदुलार नागवंशी, अनूप सिंह, सुभाष चंद्र पाण्डेय, दिनेश कुमार, नंद प्रसाद यादव, राम निवास शर्मा, पुरुषोत्तम सिंह, रज्जब अली, रामचंद्र यादव, कमल सिंहर, रेनू गौतम, कंचन श्रीवास्तव, रीता सक्सेना, शशिबाला गुप्ता आदि के नाम शामिल हैं।
विडंबना : राजकीय शिक्षकों की 12 साल से अटकी पदोन्नति
गजब की विडंबना है। एक तरफ प्रवक्ता और प्रधानाचार्य की कमी से प्रदेश भर के राजकीय इंटर कालेज जूझ रहे हैं तो दूसरी तरफ प्रवक्ता के लिए विभागीय पदोन्नति 12 साल से लटकी है। कई सहायक अध्यापक तो प्रवक्ता बनने के इंतजार में और कई प्रवक्ता, प्रधानाचार्य बनने का सपना लिए रिटायर हो गए। विभागीय पदोन्नति (डीपीसी) न होने से उन शिक्षकों को वह आर्थिक लाभ नहीं मिल रहा, जिसके वह हकदार हैं। इसके साथ ही शिक्षकों की कमी से विद्यार्थियों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है।
नियमानुसार शिक्षा विभाग में सीधी भर्ती एवं पदोन्नति का कोटा निर्धारित है। इसके अनुसार राजकीय इंटर कालेजों में प्रवक्ता के 50 फीसद पद सीधी भर्ती से भरे जाते हैं, शेष 50 फीसद पद विभागीय पदोन्नति कमेटी (डीपीसी) की संस्तुति पर भरे जाने की व्यवस्था है। यहां हकीकत यह है कि प्रवक्ता पद पर विभागीय पदोन्नति 2009 से नहीं हुई, जबकि यह प्रत्येक सत्र के अंत में होनी चाहिए। इसी तरह प्रधानाचार्य पद पर पिछले आठ साल में 2013-14 बैच की डीपीसी जनवरी 2018 में हुई, जिसकी घोषणा बीते जून माह में हो पाई। इसके विपरीत सीधी भर्ती में नियुक्त अभ्यर्थी अनवरत पदोन्नति के अवसर पा रहे हैं।
मामले में राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री डा.रवि भूषण का कहना है कि विभागीय कोटा में समय पर पदोन्नति न मिलने से सहायक अध्यापक व प्रवक्ताओं में निराशा है। स्थिति यह है कि काफी संख्या में सहायक अध्यापक पदोन्नति पाने की आस लिए 25-30 वर्षो की सेवा के बाद उसी पद से सेवानिवृत्त हो गए। इनमें राम विहारी दुबे, अखिलेश चंद्र सिंह, प्रभाकर सिंह, घनश्याम जीआइसी प्रयागराज, रामसकल यादव जीआइसी प्रतापगढ़ व महेंद्र कुमार सिंह जीआइसी बलिया सहित कई नाम शामिल हैं। इसके अलावा पिछले दस वर्षो से गोपनीय आख्या अनवरत रूप से मांगी जाती है। विगत वर्ष कुछ विषयों की महिला वर्ग में पदोन्नति के बावजूद अभी तक पदस्थापन न होने से शिक्षिकाएं निराश हैं।
डा.भूषण ने बताया कि प्रांतीय अध्यक्ष सुनील कुमार भड़ाना के साथ उन्होंने उप मुख्यमंत्री एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री डा.दिनेश शर्मा को इन स्थितियों से अवगत कराकर निराकरण की मांग की है, ताकि शिक्षकों और विद्यार्थियों दोनों को न्याय मिल सके।
प्रवक्ता पदों के लिए 2009 से नहीं हुई विभागीय पदोन्नति, पद पड़े खाली
मांगी गई है गोपनीय आख्या : एडी
अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक (राजकीय) अंजना गोयल ने बताया कि डीपीसी के लिए जिलों से शिक्षकों की गोपनीय आख्या मांगी गई है। जल्द ही डीपीसी की प्रक्रिया पूरी कराई जाएगी। प्रधानाचार्य पद पर डीपीसी का मामला कोर्ट में जाने के कारण प्रभावित हुआ है।
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