विद्यांजली 2.0 : जहां पढ़े, वहीं स्कूल बेहतर बनाने का अवसर, इस तरह दे सकते है सहायता
सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने में अब सिर्फ सरकार ही नहीं बल्कि हर कोई अपने तरीके से योगदान दे सकेगा। ये योगदान बच्चों को पढ़ाने लिखाने से लेकर उनके खाने-पीने से जुड़ी सुविधाओं को जुटाने व स्कूल के इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि से जुड़े होंगे इसके तहत सरकार और स्कूलों का सबसे ज्यादा फोकस इन्हीं स्कूलों से पढ़े पूर्व छात्रों और ऐसे स्थानीय लोगों को इस मुहिम से जोड़ने को लेकर है, जो सेवानिवृत्ति हो चुके हैं और खुद को सामाजिक विकास से जुड़ी गतिविधियों में सक्रिय रखते हैं।
शिक्षा मंत्रालय ने यह पहल उस समय की है, जब राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनइपी) में सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता बेहतर बनाने के लिए जनभागीदारी पर जोर दिया गया है। मंत्रालय ने इसे लेकर विद्यांजलि 2.0 नाम की एक नई योजना शुरू की है। जिसके तहत कोई भी व्यक्ति स्कूलों को बेहतर बनाने की इस मुहिम से जुड़ सकता है। अपने हिसाब से मदद कर सकता है। जरूरी नहीं कि यह मदद आर्थिक ही हो।
यदि वह इन स्कूलों में कुछ समय के लिए पढ़ाना चाहता है या बच्चों को किसी खेल या विशेष हुनर से प्रशिक्षित करना चाहता है, तो वह भी कर सकता है। इसके लिए उन्हें स्कूल को पहले बताना होगा। वहीं स्कूलों की ओर से भी समय-समय पर अपनी जरूरतों का ब्योरा आनलाइन मुहैया कराया जाएगा। जिसके आधार पर कोई भी उन्हें संबंधित योगदान दे सकेगा। फिलहाल इस पूरी कवायद के पीछे शिक्षा मंत्रालय का जो मुख्य मकसद है, वह सरकारी स्कूलों के प्रति आम लोगों में भरोसा जगाना है।
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