सेवा अवधि का विकल्प न देने वाले मृत शिक्षकों के आश्रितों को भी मिल सकेगी ग्रेच्युटी, माध्यमिक शिक्षा विभाग तैयार कर रहा प्रस्ताव
लखनऊ। माध्यमिक शिक्षा विभाग के सहायता प्राप्त विद्यालयों में सेवा अवधि का विकल्प न देने वाले मृत सहायक अध्यापक, प्रवक्ता, प्रधानाध्यापक और प्रधानाचार्यों के आश्रितों को भी ग्रेच्युटी का लाभ दिया जाएगा। विभाग ने इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर शासन को मंजूरी के लिए भेजा है।
माध्यमिक शिक्षा विभाग के सहायता प्राप्त विद्यालयों में शिक्षकों की सेवा अवधि 60 व 62 वर्ष की आयु तक होती है। 62 वर्ष की आयु तक नौकरी करने वाले सहायक अध्यापकों, प्रवक्ताओं, प्रधानाध्यापकों और प्रधानाचार्यों को ग्रेच्युटी का लाभ नहीं दिया जाता है। जबकि 60 वर्ष की आयु तक नौकरी करने वालों को ग्रेच्युटी का लाभ दिया जाता है। लेकिन उन्हें कम से 58 वर्ष की आयु तक यह विकल्प देना होता है कि वे कितने वर्ष तक सेवा में रहना चाहते हैं। लेकिन विभाग में बड़ी संख्या में शिक्षकों ने विकल्प नहीं भरा और उनकी मृत्यु हो गई।
कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान ऐसे शिक्षकों की संख्या सैकड़ों में पहुंच गई, जिन्होंने सेवा अवधि का विकल्प नहीं दिया था और उनकी मौत हो गई है। इससे एक परिवार को करीब 10 से 15 लाख रुपये तक का नुकसान हो रहा है। शिक्षक संगठनों ने इस समस्या के समाधान की मांग उठाई थी।
विभाग का ये है प्रस्ताव
विभाग ने अब प्रस्ताव तैयार किया है कि ऐसे शिक्षक जिन्होंने सेवा अवधि का विकल्प नहीं दिया था और उनकी 60 वर्ष की आयु पूरी होने से पहले ही किसी भी कारणवश मृत्यु हो गई। ऐसे शिक्षकों के आश्रितों को यह मानते हुए ग्रेच्युटी का लाभ दिया जाएगा कि वे 60 वर्ष तक ही सेवा करते। लिहाजा उनके आश्रितों को ग्रेच्युटी का लाभ दे दिया जाए।

जिन शिक्षकों ने सेवा अवधि का विकल्प नहीं दिया था, उनके आश्रितों को भी ग्रेच्युटी देने का प्रस्ताव है। इससे सैकड़ों मृतक शिक्षकों के आश्रितों को बड़ी राहत मिलेगी।
डॉ. दिनेश शर्मा, उप मुख्यमंत्री
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