शासन का शैक्षिक कैलेंडर लागू कराने में आ रही मुश्किलें, पहले की तरह शैक्षिक कैलेंडर जारी करने की उठने लगी मांग
लखनऊ : सत्र 2021-22 के लिए शासन स्तर से जारी शैक्षिक कैलेंडर प्रदेश के सभी राज्य विश्वविद्यालयों के लिए मुसीबत बन गया है। विश्वविद्यालयों की अलग-अलग परिस्थितियों के कारण इसे लागू कराने में मुश्किलें आ रही हैं। इन्हीं मुश्किलों को देखते हुए फिर से पहले की तरह विश्वविद्यालय स्तर से शैक्षिक कैलेंडर जारी किए जाने की मांग उठने लगी है।
कारोना महामारी की परिस्थितियों के कारण पटरी से उतरे शैक्षिक सत्र को फिर से नियमित करने की कवायद के क्रम में खुद शासन स्तर से शैक्षिक कैलेंडर को संशोधित किया जा चुका है। बावजूद इसके हर विश्वविद्यालय की परीक्षा प्रणाली और पाठ्यक्रम की रूपरेखा अलग-अलग होने से यह कैलेंडर सुविधाजनक नहीं हो पा रहा है। कुछ विश्वविद्यालयों में ज्यादातर पाठ्यक्रमों की पढ़ाई वार्षिक परीक्षा प्रणाली के तहत चल रही है तो कुछ ने सेमेस्टर प्रणाली अपना रखी है। सत्र 2021-22 से सभी विश्वविद्यालयों को नई शिक्षा नीति के तहत च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम के अनुसार सेमेस्टर प्रणाली अपनाने को कहा गया है। इसके तहत कई तरह के बदलाव होने हैं। साथ ही स्नातक स्तर पर एक समान पाठ्यक्रम भी लागू करने को कहा गया है।
पिछले शैक्षिक सत्र की परीक्षाएं कराने और उनका परीक्षाफल तैयार करने में ही कई विश्वविद्यालय शासन के शैक्षिक कैलेंडर का पालन नहीं कर पाए हैं। उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक महासंघ (फुपुक्टा) के अध्यक्ष डॉ. वीरेन्द्र सिंह चौहान व महामंत्री डॉ. वाईएन त्रिपाठी ने प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर यह मुद्दा भी उठाया है।
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