School Bus Fare: यूपी में सीट के हिसाब से तय होगा स्कूल बस का किराया, 30 सितंबर तक व्यवसायिक शिक्षा समिति को भेजी जाएगी रिपोर्ट
यूपी में स्कूल संचालकों द्वारा अभिभावकों से की जा रही मनमानी रोकने के लिए परिवहन विभाग बसों में प्रति विद्यार्थी प्रति सीट फीस तय करने जा रहा है। 30 सितंबर तक इस पर अंतिम निर्णय लेकर मामले को व्यवसायिक शिक्षा समिति को भेजा जाएगा।
उत्तर प्रदेश में स्कूल बसों का किराया जल्द ही तय किया जाएगा।
लखनऊ । स्कूल संचालकों द्वारा अभिभावकों से की जा रही मनमानी रोकने के लिए परिवहन विभाग बसों में प्रति विद्यार्थी प्रति सीट फीस तय करने जा रहा है। 30 सितंबर तक इस पर अंतिम निर्णय लेकर मामले को व्यवसायिक शिक्षा समिति को भेजा जाएगा। जहां सीटवार दरों पर अंतिम मुहर लगेगी।
बता दें कि इस सिलसिले में बसों पर आने वाले पूरे खर्च का संभागों से ब्योरा मांगा गया था। प्रदेश के सभी 19 आरटीओ ने इसे बनाकर मुख्यालय भेज दिया है। इसमें स्कूली बसों पर होने वाले मासिक व्यय, डीजल, मरम्मत कार्य, बीमा, स्टॉफ का वेतन, फिटनेस आदि अन्य अनुरक्षण खर्च को निकालकर सीटवार धनराशि की जानकारी दी गई है। अब मुख्यालय आए हुए सभी पहलुओं पर विचार कर सीटवार रेट को अंतिम रूप देगा। धनराशि तय होने के बाद व्यवसायिक शिक्षा समिति को भेजा जाएगा।
न्यूनतम 1,800 और अधिकतम 2,300 से अधिक नहीं होगा सीट का रेट:
संभागीय परिवहन कार्यालयों ने जो रेट भेजे हैं उसके मुताबिक न्यूनतम 1,800 और अधिकतम 2,300 रुपये प्रति सीट है। राजधानी लखनऊ समेत सभी संभागीय परिवहन अधिकारियों ने इस मसले पर आने वाले अनुरक्षण खर्च का ब्योरा निकालकर मुख्यालय भेजा है। आरटीओ द्वारा जो सुझाव दिए गए हैं उनमें 2,300 रुपये सीट से अधिक रेट न रखे जाने की बात की गई है। बीते माह 14 जुलाई को परिवहन अधिकारी इसे प्रश्न एवं संदर्भ समिति के समक्ष ले जा चुके हैं। अब इसे समिति के समक्ष ले जाया जाएगा।
अपर परिवहन आयुक्त वीके सोनकिया ने बताया कि राजधानी समेत प्रदेश के सभी संभागों से परिवहन अधिकारियों ने बस पर आने वाली सीट का खर्च निकालकर मुख्यालय भेज दिया है। इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है। 30 सितंबर इसकी अंतिम तिथि है। तय अवधि में किराए की दर तय कर इसे व्यवसायिक शिक्षा समिति को भेज दिया जाएगा। वही इस पर अंतिम निर्णय लेगी। निर्देश जारी होते ही संभागों को किराया तय होने की जानकारी भेज दी जाएगी जिससे वह अपने संभागों के स्कूलों में इसका क्रियान्वयन करा सकें।
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