राजधानी के 116 सरकारी स्कूलों को शहर के बिल्डरों और रियल स्टेट कंपनियों ने लिया गोद, होगा कायाकल्प
लखनऊ : राजधानी के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों का भी निजी स्कूलों की तरह कायाकल्प होगा। डीएम अभिषेक प्रकाश की पहल पर शहर के बिल्डरों और रियल स्टेट कंपनियों ने 116 सरकारी स्कूलों को गोद लिया है। सामाजिक सहभागिता फंड से स्कूलों को आधुनिक बनाया जाएगा।
राजधानी के भी कई स्कूलों की हालात बेहद खस्ता है। कहीं पर फर्नीचर नहीं है तो कहीं शौचालय खराब हैं। खिड़कियां और दरवाजे भी जर्जर हालत में हैं। स्कूलों की खराब हालत देखकर डीएम ने बिल्डरों और रीयल एस्टेट कंपनियों को बुलाकर बैठक कर मदद मांगी। डीएम की पहल पर शहर के कई बिल्डरों और रियल एस्टेट कंपनियां आगे आई हैं। बुधवार को डीएम शिविर कार्यालय में हुई बैठक में स्कूलों के जीर्णोद्वार करने को लेकर चर्चा हुई।
जिलाधिकारी के मुताबिक बिल्डरों और कंपनियों ने 15 जनवरी तक इन स्कूलों में काम पूरा करने का लक्ष्य रखा है। 65 परिषदीय विद्यालय एवं 51 माध्यमिक विद्यालयों में रंग-रोगन, पेयजल, फर्नीचर, शौचायल और बिजली सहित अन्य अवस्थापना सुविधाओं को दुरुस्त किया जाएगा। सीएसआर की मदद से इन स्कूलों में शिक्षा के स्तर को कैसे और बेहतर किया जाए, इस पर भी योजना बनाई जा रही है। स्कूलों का जीर्णोद्वार हो जाए फिर आगे इस पर काम किया जाएगा।
इन बिल्डरों और कंपनियों ने लिया स्कूलों को गोद : मैसर्स अंसल प्रापर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, मैसर्स गर्व बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स एमआर एमजीएफ लैंड लिमिटेड, मैसर्स ओमेक्स लिमिटेड, मैसर्स विराज कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स एल्डिको सिटी, मैसर्स एएनएस डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स स्वास्तिक मल्टीट्रेड प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स पिंटेल रियलिटी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स ओमेगा इंफ्राबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स श्री राज इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड एवं मैसर्स शिप्रा प्राइवेट लिमिटेड।
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