नई नीति से पहले बना रहे पाठ्यचर्या की रूपरेखा, राज्य शिक्षा संस्थान ने कक्षा एक से 12 तक के लिए शुरू की कवायद, विशेषज्ञों को दी जिम्मेदारी
राष्ट्रीय शिक्षा नीति
● स्थानीय भाषा और संदर्भों के आधार पर पढ़ाने पर रहेगा जोर
● 29 जुलाई 2020 को की थी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा
प्रयागराज : राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू करने से पहले राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एससीएफ) तैयार की जा रही है। यह जिम्मेदारी राज्य शिक्षा संस्थान एलनगंज को मिली है और विशेषज्ञों की टीम भी गठित कर दी गई है।
नई नीति के परिप्रेक्ष्य में यूपी में स्कूली शिक्षा (कक्षा एक से 12 तक) का क्या स्वरूप होगा और उसे किस प्रकार बच्चों तक प्रभावी तरीके से पहुंचाया जाए, इसकी रणनीति बनाई जाएगी। शिक्षा नीति को लागू करने में पाठ्यचर्या की रूपरेखा बहुत मायने रखती है।
इसके तहत शिक्षा की प्रक्रिया कैसी होगी, पाठ्यक्रम क्या होगा, किताबें कैसी होगी, पठन-पाठन कैसे होगा, समुदाय की क्या भूमिका होगी, मूल्यांकन की प्रक्रिया क्या होगी, मानवीय नैतिक मूल्यों को किस प्रकार समाहित किया जाए जैसे बिन्दुओं को तय किया जाएगा।
नई नीति में शिक्षण माध्यम के रूप में पहली से पांचवीं तक मातृभाषा का इस्तेमाल करेंगे। इसमें रट्टा विद्या को खत्म करने की कोशिश है जिसे मौजूदा व्यवस्था की बड़ी खामी माना जाता है। स्कूलों में 10+2 फार्मेट के स्थान पर 5+3+3+4 फार्मेट को शामिल किया जाएगा। इसके तहत पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी के तीन साल और कक्षा एक और कक्षा दो साल शामिल होंगे। कक्षा 3-5 और कक्षा 6 से 8 तक के तीन-तीन साल होंगे।
विशेषज्ञों से परिचर्चा के बाद देंगे अंतिम रूप
प्रयागराज : राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा का ड्राफ्ट तैयार करने के बाद उस पर व्यापक चर्चा होगी। राज्य शिक्षा संस्थान राष्ट्रीय स्तर के विद्वानों, स्कूलों के प्रधानाचार्यों, शिक्षकों आदि से चर्चा कर इसे अंतिम रूप देगा।
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