बदलाव : कोरोनाकाल में सरकारी स्कूलों में बढ़े विद्यार्थी, निजी स्कूलों की फीस के बोझ से बचने के लिए बच्चों ने बदला स्कूल
345 विद्यार्थी बढे शिवचरण दास कन्हैया लाल इंटर कालेज में।
348 बच्चे बढ़े जीआइसी में।
212 विद्यार्थी बढ़े जीजीआइसी में।
प्रयागराज : कोरोना काल में तमाम बदलाव देखने को मिले। एक सुखद बदलाव यह भी दिखा की तमाम लोगों ने अपने बच्चों के प्रवेश सरकारी स्कूलों में कराए। इससे सरकारी स्कूलों की छात्र संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई। हालांकि, यह बदलाव उन जगहों पर अधिक दिखा जहां अंग्रेजी माध्यम की 212 कक्षाएं चलती थीं।
जीआइसी के प्रधानाचार्य बीके सिंह ने बताया कि सत्र 2020 में कक्षा नौ, 10, 11 और 12वीं में कुल विद्यार्थी 2863 थे, जबकि सत्र 2021 में यह संख्या 3211 पहुंच गई। यदि अंग्रेजी माध्यम की बात करें तो सत्र 2020 में कक्षा 11 और 12वीं में कुल 488 विद्यार्थी थे। 2021 में यह संख्या 635 पहुंच गई। छोटी कक्षाओं में भी इसी तरह की बढ़ोतरी हुई है। जीजीआइसी कटरा की प्रभारी प्रधानाचार्य बीना गौतम ने भी बताया कि पिछले सत्र की तुलना में विद्यार्थी हैं। इनमें से तमाम निजी स्कूलों को छोड़कर दाखिला लिए हैं। अंग्रेजी माध्यम में 35 विद्यार्थी बढ़े हैं, जबकि हिंदी माध्यम में 177 छात्राओं की वृद्धि हुई है। शिवचरण दास कन्हैया लाल इंटर कालेज के प्रधानाचार्य लालचंद पाठक ने बताया कि अंग्रेजी माध्यम में 2020 में कुल 114 विद्यार्थी थे। 2021 में 142 पहुंच गए हैं। प्राथमिक कक्षाओं में अधिक विद्यार्थी बढ़े हैं। पिछले सत्र में मात्र 165 विद्यार्थी थे, जबकि वर्तमान सत्र में 345 विद्यार्थी हो गए हैं। जूनियर कक्षाओं में यह आंकड़ा 275 से बढ़कर 450 पहुंच चुका है। कक्षा नौ से 12वीं तक में पिछले सत्र में 769 विद्यार्थी थे जब कि इस बार 778 विद्यार्थी हैं।
◆ मेरी बेटी पहले निजी स्कूल में पढ़ती थी। वहां शुल्क अधिक था। कोरोना काल में कक्षाएं भी नियमित नहीं चल रही थीं जिसकी वजह से मैने बेटी का प्रवेश जीजीआइसी में करा दिया। यहां फीस कम है अब कक्षाएं भी ठीक चल रही हैं।
- अविनाश कुमार पांडेय, अभिभावक
◆ मेरी बेटी हिंदी माध्यम की कक्षा 11 की छात्रा है। पहले वह एक निजी स्कूल में पढ़ती थी। कोरोना काल में भौतिक कक्षाएं बंद हुई तो मैने उसका प्रवेश केपी गर्ल्स कालेज में करा दिया। पढ़ाई करीब करीब सभी जगहों पर एक सी है। कम से कम फीस की बचत हो रही है।
-कमलेश रावत, अभिभावक
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