पढ़ाना-लिखाना छोड़ डीबीटी में उलझे बेसिक शिक्षक
परिषदीय स्कूलों के शिक्षक इन दिनों बच्चों को पढ़ाना-लिखाना छोड़ डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) में उलझकर रह गए हैं। बच्चों को स्वेटर, स्कूल बैग, यूनीफार्म व जूता- मोजा का पैसा 1056 रुपये खाता में भेजने के लिए डीबीटी एप पर बच्चों का ब्योरा भरा जा रहा है। जिसके चलते शिक्षकों का पूरा दिन उसी में गुजर रहा है। तकनीकी परेशानी हो रही है सो अलग।
ऐसे में स्कूल खुलने के बाद भी पहले की तरह बच्चों की पढ़ाई-लिखाई नहीं हो पा रही है। कुछ अभिभावकों के आधार बैंक खाता से लिंक न होने की समस्या आ रही है, तो वहीं कुछ के आधार व बैंक खाते में नाम के अक्षरों में अंतर मिल रहा है। जिससे अभी तक उनका ब्योरा डीबीटी एप पर अपलोड नहीं हो सका है।
सर्वर से सांसत में शिक्षकः कंप्यूटर की अनुपलब्धता की वजह से शिक्षकों को छात्रों का ब्योरा मोबाइल से डीबीटी एप पर अपलोड करना पड़ रहा है। इसमें तमाम तरह की व्यावहारिक दिक्कतें आ रही हैं। खासतौर पर नेटवर्क व सर्वर की समस्या जबकि डीबीटी में अभिभावकों के आधार को बैंक खाता के साथ प्रमाणित करना है। यह प्रकिया तीन चरणों में पूरी करनी है। प्रत्येक चरण में नेटवर्क व सर्वर की समस्या बाधक बन रही है। सर्वर के कारण नए पंजीकरण के साथ ही कुछ स्कूलों में सत्यापन में भी समस्या आ रही है। यदि किसी स्कूल में पांच शिक्षक हैं तो तीन या चार या एक ही का लाग-इन पोर्टल पर शी हो रहा है। जब तक एक प्रक्रिया पूरी नहीं हो रही तब तक आगे का चरण बाधित रह रहा है।
नहीं मिल रहा होमवर्क, अभिभावक कर रहे फोन: डीबीटी का कार्य पूरा करने के चक्कर में शिक्षक इन दिनों बच्चों को होमवर्क तक नहीं दे पा रहे हैं, जिससे कई अभिभावक शिक्षकों को फोन कर होमवर्क को लेकर शिकायत दर्ज करा रहे हैं।
No comments:
Write comments