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Saturday, October 2, 2021

डीएलएड में जितनी सीटें भरीं उससे कहीं ज्यादा रह गईं खालीं

DElEd Admission 2021: पिछला सत्र शून्य होने के बाद भी डीएलएड सत्र 2021 की 1.32 लाख सीटें रह गईं खाली

डीएलएड में जितनी सीटें भरीं उससे कहीं ज्यादा रह गईं खालीं


लखनऊ। डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) में इस बार भी छात्रों ने कोई रुचि नहीं दिखाई हालांकि पिछले साल सत्र शून्य घोषित कर दिया गया था। एक साल बाद दाखिले के लिए काउंसिलिंग हुई तो जितनी सीटें भरीं उससे कहीं ज्यादा खाली रह गई हैं।

तीनों चरण की काउंसिलिंग खत्म होने के बाद 1,32,766 सीटें खाली हैं। डीएलएड का नया सत्र 11 अक्तूबर से प्रारंभ हो जाएगा। डीएलएड में दाखिले के लिए ऑनलाइन काउंसिलिंग 22 अक्तूबर से प्रारंभ हुई थी, लेकिन छात्रों ने इसमें खास रुचि नहीं दिखाई। काफी संख्या में सीटें रिक्त हैं। 

यहां तक कि डायट की भी कुछ सीटें रिक्त रह गई हैं। डायट में 10,600 सीटें हैं। इनमें से तीनों चरण में 10,134 सीटों पर दाखिले हुए हैं, जो सीटें रिक्त रह गई हैं वे आरक्षण वर्ग की हैं। डीएलएड की कुल 2,28,900 सीटें हैं। इनमें से 96,134 सीटों पर ही दाखिले हुए हैं जबकि 1,32,766 सीटें रिक्त रह गई हैं। वह भी तब जब पिछला सत्र शून्य घोषित कर दिया गया था।


डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन (डीएलएड) 2021 प्रवेश के तीसरे और अंतिम चरण का सीट आवंटन शुक्रवार को जारी कर दिया गया। कुल 228900 सीटों के सापेक्ष 96134 सीटों पर ही अभ्यर्थियों ने प्रवेश लिया है। शेष आधे से अधिक 132766 सीटें खाली रह गईं।


प्रशिक्षण 11 अक्तूबर से शुरू होगा। कोरोना के कारण 2020 सत्र शून्य होने के बावजूद युवाओं ने इस कोर्स में रुचि नहीं ली। कभी नौकरी की गारंटी माने जाने वाले डीएलएड (पूर्व में बीटीसी) कोर्स को अधिकांश युवा करना नहीं चाहते।

अंतिम चरण में डायट की 10600 सीटों में 10134 ही भरी जा सकी। विशेष आरक्षण की 466 सीटें खाली रह गई। वहीं प्राइवेट कॉलेज में 86000 प्रवेश हुए हैं। पहले चरण में 12975, दूसरे में 28384 और तीसरे चरण में 54775 सीटें आवंटित की गई। ऑनलाइन काउंसिलिंग 22 सितंबर से शुरू हुई थी। 


आवेदन के लिए तीन बार बढ़ानी पड़ी तारीख
प्रयागराज। डीएलएड के लिए शुरू से खास रुचि नहीं दिख रही थी। सीटों के सापेक्ष पर्याप्त संख्या में आवेदन न मिलने के कारण परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय को तीन बार आवेदन की अंतिम तिथि बढ़ानी पड़ी थी। इसके पीछे निजी डीएलएड कॉलेजों का दबाव भी था। पिछले साल शून्य सत्र होने के कारण प्राइवेट कॉलेजों की कमाई नहीं हो सकी थी।

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