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Tuesday, November 2, 2021

छात्र-शिक्षक अनुपात में शामिल होंगे शिक्षामित्र, सुनी गईं संगठनों की समस्याएं, निस्तारण की प्रक्रिया शुरू

शिक्षामित्रों की मांगों पर नहीं बनी सहमति, सरकार केवल एक हजार रुपये मानदेय बढ़ाने को तैयार

छात्र-शिक्षक अनुपात में शामिल होंगे शिक्षामित्र, सुनी गईं संगठनों की समस्याएं,  निस्तारण की प्रक्रिया शुरू



लखनऊ : डेढ़ लाख से अधिक प्राथमिक विद्यालयों में संविदा पर पढ़ा रहे शिक्षामित्र भले ही शिक्षक के रूप में समायोजित नहीं हो सके हैं लेकिन, उनकी गणना अब शिक्षक रूप में करने की तैयारी है। इससे उन्हें आगे लाभ मिलने के आसार हैं साथ ही उनके पदों पर आसानी से नियुक्ति भी होती रहेगी।


बेसिक शिक्षा विभाग में समस्या निस्तारण की प्रक्रिया सोमवार से शुरू हो गई। पहले दिन शिक्षामित्र, रसोइयां व अनुदेशक संगठनों को बुलाकर उनकी मांगे और अन्य समस्याएं अफसरों ने सुनी। इसी में संकेत दिया गया कि शिक्षामित्रों की गणना छात्र-शिक्षक अनुपात में हो सकती है। ज्ञात हो कि शिक्षा का अधिकार कानून 2009 में प्राथमिक स्कूलों में 30 छात्रों पर एक शिक्षक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में 35 छात्रों पर एक शिक्षक रखने के निर्देश हैं। 


अभी तक प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ा रहे करीब डेढ़ लाख से अधिक शिक्षामित्रों को छात्र-शिक्षक अनुपात में नहीं रखा गया है। समस्या निस्तारण बैठक में आदर्श समायोजित शिक्षक शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र शाही, शिक्षक शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के अभय सिंह, उत्तर प्रदेशीय शिक्षामित्र संघ के शिवकुमार शुक्ल, शिक्षामित्र उत्थान मंच के गुड्डू सिंह व उप्र दूरस्थ बीटीसी संघ के धर्मेंद्र सिंह आदि पहुंचे।


 शिक्षामित्रों ने 12 माह की सेवा और 62 वर्ष पर सेवानिवृत्ति की मांग की। उनका कहना है कि सरकार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को यह लाभ दे रही है। उसी तर्ज पर सेवा नियमावली बनाकर उन्हें भी लाभ दिया जाए। इसी तरह 14 अवकाश प्रतिवर्ष और निधन होने पर मृतक आश्रित को नौकरी दें। शिक्षामित्रों ने कहा कि शिक्षकों को नियुक्ति के समय जो वेतन दिया जाता है उतना ही उन्हें मिले।


69000 शिक्षक भर्ती में 138 शिक्षामित्रों को अब तक नियुक्तिपत्र नहीं मिल सका है। कहा गया कि उन्हें सरकार स्थायी करे और मानदेय बढ़ाने की जो घोषणा की जा चुकी है उसका अनुपालन हो। अफसरों ने कहा कि शिक्षामित्रों को स्थायी करने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ निर्णय लेंगे। उनकी गणना जरूर शिक्षकों के रूप में हो सकती है। 


इसी तरह रसोइयों व अनुदेशकों ने भी मांगे रखीं। जल्द ही विभाग शासन को रिपोर्ट भेजेगा। शिक्षा निदेशक बेसिक डा. सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह, बेसिक शिक्षा परिषद सचिव प्रताप सिंह बघेल व संयुक्त निदेशक गणेश कुमार ने समस्याएं सुनी।



लखनऊ। शिक्षामित्रों का मानदेय अधिकतम एक हजार रुपये तक बढ़ाने पर बात हुई, लेकिन नियमित करने समेत अन्य मांगों पर सहमति नहीं बन सकी।


बेसिक शिक्षा निदेशक सर्वेन्द्र विक्रम सिंह के साथ सोमवार को हुई बैठक में शिक्षा मित्रों के संगठनों ने मनरेगा के ग्राम रोजगार सेवकों की तर्ज पर कम से कम चार हजार रुपये मानदेय बढ़ाने की मांग की। उन्होंने शिक्षा मित्रों को किसी भी तरह स्थायी करने, उन्हें स्वास्थ्य बीमा का लाभ देने, आकस्मिक अवकाश बढ़ाने और सहायक अध्यापकों की तर्ज पर सुविधाएं देने की मांग की।


सवेंद्र विक्रम सिंह ने कहा कि सरकार ने मानदेय बढ़ाने के लिए बजट प्रावधान किया है उसी के अनुसार बढ़ाया जाएगा। 2017 में मानदेय 3500 से बढ़ाकर 10,000 रुपये किया गया था। नियमित करने के मुद्दे पर निर्णय लेने का अधिकार मुख्यमंत्री को है। वहीं अन्य मांगों पर विचार के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा।


उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार शिक्षा मित्रों से किया वादा पूरा नहीं करना चाहती है। मानदेय भी अधिकतम एक हजार रुपये बढ़ाना चाहती है। इस दौरान बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल और संयुक्त निदेशक गणेश कुमार मौजूद थे।

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