पुरानी पेंशन समेत 21 सूत्रीय मांगों के लिए कर्मचारियों व शिक्षकों की महारैली, सरकार को दिया चुनाव से पहले मांगे पूरी करने का अल्टीमेटम
लखनऊ : पुरानी पेंशन बहाली व कैशलेस इलाज की सुविधा सहित 21 सूत्री मांगों को लेकर मंगलवार को प्रदेश भर के कर्मचारियों व शिक्षकों ने महारैली कर विरोध जताया। कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी एवं पेंशनर्स अधिकार मंच के आह्वान पर बड़ी संख्या में कर्मचारी व शिक्षकों की भीड़ राजधानी में स्थित ईको गार्डन में जुटी। कर्मचारियों व शिक्षकों ने सरकार को दो टूक चेतावनी दी कि अगर चुनाव आचार संहिता लगने से पहले दिसंबर तक उनकी मांगें सरकार ने पूरी नहीं की तो विधान सभा चुनाव में वह भाजपा और उसके सहयोगी दलों का विरोध करेंगे।
ईको गार्डन में सुबह आठ बजे से ही प्रदेश भर से कर्मचारी व शिक्षकों की भीड़ जुटने लगी थी। महारैली की अध्यक्षता मंच के अध्यक्ष डा. दिनेश चंद्र शर्मा ने की। उन्होंने आरोप लगाया कि कर्मचारियों के महंगाई भत्ते का 10 हजार करोड़ का भुगतान सरकार ने रोक रखा है। करीब 12 से अधिक भत्ते समाप्त कर दिए गए। पुरानी पेंशन बहाल नहीं की जा रही। प्रधानाध्यापकों के लाखों पद सरकार ने समाप्त कर दिए। शिक्षकों की पदोन्नति नहीं की गई। शिक्षामित्र व अनुदेशक भुखमरी के कगार पर हैं। विधान परिषद में शिक्षक दल के नेता सुरेश त्रिपाठी और विधान परिषद सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कर्मचारियों व शिक्षकों की अनदेखी करना ठीक नहीं है। आगे विधान सभा चुनाव में यह अपनी ताकत दिखाएंगे।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी ने कहा कि कैशलेस इलाज की सुविधा नहीं दी जा रही। संविदा कर्मियों से बंधुआ मजदूरों की तरह काम लिया जा रहा है। उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष हेम सिंह पुंडीर ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा विभाग में संविदा पर कार्यरत शिक्षकों को नियमित नहीं किया जा रहा। यूपी मेडिकल एंड हेल्थ मिनिस्टीरियल एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कुमार सिंह ने कहा कि सरकार कर्मचारियों व शिक्षकों की अनदेखी कर रही है, उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। महारैली को परिवहन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष संजय सिंह, डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ के पूर्व अध्यक्ष विष्णु त्रिपाठी आदि ने संबोधित किया।
भीड़ के कारण जाम से जूझे लोग : महारैली में जुटी बड़ी संख्या में भीड़ के कारण आलमबाग से लेकर तेलीबाग चौराहे और उसके आसपास दिन भर लोग जाम से जूझते रहे। शाम साढ़े चार बजे जब महारैली खत्म हुई तो आसपास के क्षेत्र में भीषण जाम लग गया। घंटों लोगों को जाम से जूझना पड़ा।
पुरानी पेंशन बहाल नहीं हुई तो चुनाव में सिखाएंगे सबक, लखनऊ में शिक्षकों, कर्मचारियों, अधिकारियों व पेंशनर्स ने भरी हुंकार
लखनऊ : पुरानी पेंशन बहाली, शिक्षकों की लंबित पदोन्नति जल्द करने, शिक्षकों और कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर करने सहित अन्य मांगों को लेकर प्रदेश के शिक्षकों, कर्मचारियों, अधिकारियों और पेंशनर्स ने मंगलवार को राजधानी के ईको गार्डन में हुंकार भरी।
उत्तर प्रदेश शिक्षक, कर्मचारी, अधिकारी और पेंशनर्स अधिकार मंच के बैनर तले आयोजित महारैली में मंच के अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाल नहीं हुई तो विधानसभा चुनाव में प्रदेश सरकार को सबक सिखाएंगे।
सिर पर सफेद टोपी लगाए शिक्षक व कर्मचारियों से खचाखच भरे ईको गार्डन में ‘चाहे जो मजबूरी हो, हमारी मांगे पूरी हो’, ‘जाति धर्म का भेद मिटाओ, पुरानी पेंशन बहाल कराओ’, ‘पुरानी पेंशन अधिकार है, बुढ़ापे का आधार है’ जैसे नारे गूंज रहे थे। डॉ. शर्मा ने कहा कि पहले सरकारें कर्मचारियों व शिक्षकों की समस्याओं को सुनकर उनके निराकरण का प्रयास करती थी, लेकिन यह पहली सरकार है, जो कर्मचारियों के लंबे संघर्ष से हासिल उपलब्धियों व अधिकारों को छीन रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते का 10 हजार करोड़ का भुगतान रोका हुआ है। एक दर्जन से अधिक भत्ते खत्म कर दिए है। बेसिक शिक्षा में प्रधानाध्यापकों के हजारों पद समाप्त कर दिए हैं। पिछले पांच वर्ष के कार्यकाल में एक भी शिक्षक को पदोन्नति नहीं दी गई है। शिक्षामित्र व अनुदेशकों को भुखमरी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया गया है। आंगनबाड़ियों व रसोइया भी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं।
वहीं, मंच के प्रधान महासचिव सुशील त्रिपाठी ने कहा कि सरकार कर्मचारियों के साथ सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है। इस महारैली ने यह साबित कर दिया कि शिक्षकों व कर्मचारियों में सरकार के प्रति बहुत आक्रोश है।
इसके खामियाजा सरकार को आने वाले विधानसभा चुनाव में चुकाना पड़ सकता है। विधान परिषद सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी, सुरेश त्रिपाठी और डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ के महासचिव जीएन सिंह सहित अन्य कर्मचारी, शिक्षक और अधिकारी संगठनों के पदाधिकारियों ने भी महारैली को संबोधित किया।
सत्ता पलटने में भी सक्षम है मंच
उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर हरिकिशोर तिवारी ने कहा कि संविदा कर्मियों को नियमित नहीं किया जा रहा है। वहीं, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष हेम सिंह पुंडीर ने कहा कि पुरानी पेंशन कर्मचारियों और शिक्षकों का अधिकार है।
सरकार लगातार कर्मचारियों और शिक्षकों के खिलाफ निर्णय ले रही है। तो उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के महामंत्री संजय सिंह ने सवाल उठाया कि जब विधायक और सांसद को पांच साल के कार्यकाल पर पेंशन मिलती है। तब कर्मचारियों, अधिकारियों और शिक्षकों को 30-35 सालों की सेवा के बाद भी पेंशन क्यों नहीं दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो मंच सत्ता पलटने में भी सक्षम है।
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