डिग्री शिक्षकों को स्थाई करने पर शासन ने निदेशालय से फिर मांगी रिपोर्ट
लखनऊ : प्रदेश के सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों में पढ़ा रहे 3920 शिक्षकों के विनियमितीकरण को लेकर चल रही कवायद अब तक बेनजीता है। शासन ने उच्च शिक्षा निदेशालय की रिपोर्ट को अस्पष्ट और अपूर्ण बताते हुए फिर से रिपोर्ट मांगी है।
शासन स्तर पर हुई बैठकों के बाद यह कवायद शुरू हुई थी। चुनाव आचार संहिता लागू होने की तिथि नजदीक आते जाने से संबंधित शिक्षकों की बेचैनी बढ़ गई है। इससे पहले शासन ने अनुदानित महाविद्यालय-विश्वविद्यालय स्ववित्तपोषित अनुमोदित शिक्षक संघ के 27 जुलाई 2021 के पत्र पर उच्च शिक्षा निदेशालय से बिंदुवार रिपोर्ट मांगी थी। निदेशालय ने 28 अक्तूबर को अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी थी।
शासन ने 10 दिसंबर 2021 को निदेशालय को दोबारा पत्र भेजकर कहा कि उसकी रिपोर्ट अस्पष्ट एवं अपूर्ण है। प्रदेश के 303 सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों में 3920 शिक्षक कार्यरत हैं, जिनके विनियमतीकरण पर प्रतिमाह 28.95 करोड़ रुपये व्यय भार आएगा। रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि इतनी बड़ी संख्या में शिक्षकों के विनियमितीकरण का क्या आधार है तथा किन नियमों व पात्रता के तहत इनके विनियमितीकरण के संबंध में कार्यवाही की जानी है। यह पत्र उच्च शिक्षा विभाग के विशेष सचिव श्रवण कुमार सिंह की तरफ से निदेशक उच्च शिक्षा को भेजा गया है।
अभी महाविद्यालय स्तर से हो रहा भुगतान
प्रदेश के 331 सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में से 303 में स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम संचालित हैं। यूजीसी के मानकों के अनुसार 3920 शिक्षक नियुक्त हैं जो संबद्धता देने वाले विवि से अनुमोदित भी हैं। इनके वेतन का भुगतान महाविद्यालय करते हैं। अनुदानित महाविद्यालय-विश्वविद्यालय स्ववित्तपोषित अनुमोदित शिक्षक संघ के अध्यक्ष डा. अरुणेश ने कहा कि 2006 में राज्य सरकार ने सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में स्ववित्तपोषित योजना के तहत कार्यरत बीएड के संविदा शिक्षकों को अनुदान पर लेते हुए उनका विनियमितीकरण किया था। इसी आधार पर 3920 शिक्षकों को विनियमित किया जा सकता है।
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