कोरोना और पेपर लीक के कारण पटरी से उतरी शिक्षक पात्रता परीक्षा, दो साल बाद कराई जा सकी परीक्षा, सरकार की उम्मीद पर खरे उतरे अनिल भूषण
कोरोना और पेपर लीक के कारण उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) पटरी से उतर गई। रविवार को दो साल के बाद परीक्षा कराई जा सकी। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की गाइडलाइन के अनुसार टीईटी साल में दो बार होनी चाहिए। एनसीटीई ने इस संबंध में बेसिक शिक्षा विभाग को पत्र भी लिखा था।
लेकिन परीक्षा का आयोजन नियमित तौर पर नहीं हो सका। पहले तो कोरोना के कारण 2020 का टीईटी नहीं हो सका। उसके बाद 2021 की परीक्षा कोरोना की दूसरी लहर के कारण टालनी पड़ी। विधानसभा चुनाव करीब देख सरकार के दबाव में 28 नवंबर की तारीख तय की गई लेकिन पेपर लीक के कारण परीक्षा नहीं हो सकी।
यूपी में जुलाई 2011 में नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) लागू होने के बाद प्रदेश में पहली बार 13 नवंबर 2011 को यूपी बोर्ड ने टीईटी कराया था। परीक्षा की शुचिता पर सवाल उठने के कारण 2012 में परीक्षा नहीं कराई जा सकी। 2013 में परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय एलनगंज को टीईटी कराने की जिम्मेदारी मिली और तब से हर साल परीक्षा हो रही थी।
सरकार की उम्मीद पर खरे उतरे अनिल भूषण
यूपीटीईटी के सकुशल आयोजन के साथ ही सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी अनिल भूषण चतुर्वेदी ने भी सरकार की उम्मीदों पर खुद को साबित किया। 28 नवंबर को पेपर लीक होने और उसके बाद पूर्व सचिव संजय उपाध्याय की गिरफ्तारी के बाद कोई अधिकारी सचिव का कार्यभार ग्रहण नहीं करना चाहता था। सरकार ने पूर्व सचिव अनिल भूषण को भेजा था। इससे पहले सितंबर 2018 में 68500 भर्ती में गड़बड़ी में तत्कालीन सचिव सुत्ता सिंह के निलंबन के बाद भी अनिल भूषण को सचिव बनाया गया था।
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