DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बागपत बाँदा बांदा बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लख़नऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Sunday, January 23, 2022

चुनावों में घटी सामाजिक और कर्मचारी संगठनों की अहमियत, पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष ऐसे संगठनों की करते थे मनुहार

चुनावों में घटी सामाजिक और कर्मचारी संगठनों की अहमियत,  पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष ऐसे संगठनों की करते थे मनुहार


बदला रुख

 अब राजनीतिक दलों के अपने प्रकोष्ठ भी मोर्चा संभाल रहे


लखनऊ  :  चुनाव दर चुनाव सामाजिक एवं जातीय संगठनों की अहमियत कम होती जा रही है। इस बार के विधानसभा चुनाव में भी राजनीतिक दलों में सामाजिक व जातीय संगठनों को साधने के लिए कोई बड़ी कोशिश होती नहीं दिख रही है।


राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पहले कर्मचारियों, व्यापारियों, शिक्षकों, किसानों, अधिवक्ताओं और कतिपय जातियों के बड़े संगठनों की चुनाव में अहमियत बढ़ जाती थी। सत्तारूढ़ दल भी चुनाव से पहले इन्हें खुश करने का प्रयास करता था। सरकार शिक्षकों-कर्मचारियों के संगठनों की कुछ माग पूरी करके उन्हें साथ खड़ा करने की कोशिश करती थी तो विपक्ष भी उन्हें पक्ष में लाने की पूरी कोशिश करता था। किसानों व व्यापारियों के संगठन भी कुछ बड़ी घोषणाएं करा लेते थे। अब राजनीतिक दलों के अपने प्रकोष्ठ ही मोर्चा संभाल रहे हैं।


उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (चंदेल गुट) के प्रदेश मंत्री डॉ. महेन्द्र नाथ राय कहते हैं कि जाति व धर्म के प्रभावी होने से शिक्षकों व कर्मचारियों के संगठन कमजोर हुए हैं। राजनीतिक दल इसका फायदा उठा रहे हैं।

No comments:
Write comments