नई शिक्षा नीति : अब आपदा प्रबंधन की अनिवार्य पढ़ाई, शैक्षणिक सत्र 2022-23 से लागू करने की तैयारी
शैक्षणिक सत्र (2022-23) में अब स्नातक (यूजी) और स्नातकोत्तर (पीजी) प्रोग्राम में आपदा प्रबंधन विषय की पढ़ाई अनिवार्य होगी। केंद्रीय गृहमंत्रालय के अधीनस्थ राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान ने 18 विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों की टीम के साथ नई शिक्षा नीति 2020 और यूजीसी दिशा-निर्देशों के तहत स्नातक और स्नातकोत्तर प्रोग्राम के लिए मॉडल पाठ्यक्रम तैयार किया है। दरअसल , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन है कि 2030 तक देश को आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में सुरक्षित करना है। इसमें युवाओं को इस क्षेत्र में कौशल विकास कर रोजगार से जोड़ना है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सचिव प्रो. रजनीश जैन की ओर से सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को यूजी व पीजी का हाईब्रीड मॉडल पाठ्यक्रम भेजा है। शैक्षणिक सत्र 2022-23 के तहत अन्य डिग्री प्रोग्राम की तरह इस कोर्स में भी पहले, दूसरे और तीसरे वर्ष के छात्रों को एंट्री-एग्जिट की सुविधा मिलेगी। यानी पहले वर्ष की पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्र को सर्टिफिकेट कोर्स तो दूसरे वर्ष में डिप्लोमा दिया जाएगा। यहां भी अकेडमिक बैंक क्रेडिट (एबीसी) की सुविधा होगी। इसमें छात्र के क्रेडिट जुड़ते रहेंगे।
पहले वर्ष में आपदा जोखिम को कम करने का पाठ पढ़ेंगे
स्नातक प्रोग्राम के मानविकी, साइंस, कॉमर्स, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट कोर्स में पहले वर्ष में छात्रों को आपदा जाखिम को कम करने का प्रबंधन (डिजास्टर रिस्क रिडक्शन एंड मैनेजमेंट) पर सर्टिफिकेट कोर्स करवाया जाएगा। इस पाठ्यक्रम ऐसे तरीके से तैयार किया गया है, ताकि इस पढ़ाई व कौशल विकास से वे इस क्षेत्र में अपना भविष्य बना सकें।
यह कोर्स इसलिए जरूरी
उच्च शिक्षा में 3.73,99,388 करोड़ छात्र पंजीकृत है। इसमें स्रे 2.98, 29, 075 करोड़ छात्र विभिन्न स्नातक प्रोग्राम में पंजीकृत हैं। यह संख्या भारतीय सशस्त्र सेनाओं से अधिक है। जोकि दुनिया की सबसे बड़ी सशस्त्र सेना मानी जाती है। यदि इतने युवा आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में पढ़ाई करके अपना भविष्य बनाते हैं तो फिर आपदा प्रबंधन में बड़ी सहायता मिलेगी।
40 फीसदी स्थानीय आपदाओं की मिलेगी जानकारी
भारत एक विशाल देश है। यहां भुगोलिक क्षेत्र के आधार पर पहाड़ों के दरकने, समुद्री तुफान, बाढ़ से लेकर अन्य आपदाएं आती रहती है। ऐसे में हर क्षेत्र की आपदा अलग-अलग है। इसलिए इसमें 60 फीसदी पाठ्यक्रम आपदा प्रबंधन के विभिन्न विषयों पर एक समान होगा। जबकि 40 स्थानीय भूगोलिक क्षेत्र के आधार पर शामिल किया जाएगा, ताकि आपदा प्रबंधन से जुड़े लोगों को स्थानीय आपदा में आम लोगों की मदद के लिए सक्षम बनाया जा सके।
ऐसा होगा यूजी व पीजी कोर्स का प्रारूप
फाउंडेशन कोर्स: चौथे सेमेस्टर में आपदा जोखिम कम करने का प्रबंधन विषय की अनिवार्य पढ़ाई होगी। इसमें तीन क्रेडिट और सौ अंक का पेपर होगा, जिसमें 60 फीसदी अंक एक्सटर्नल और 40 फीसदी अंक इंटरनल होंगे। इसमें 20 अंक का फील्ड वर्क भी होगा। जबकि इस पूरे कोर्स में 45 घंटे की लैक्चर लगेंगे।
सर्टिफिकेट प्रोग्राम: आपदा जोखिम कम करने का प्रबंधन विषय की पढ़ाई होगी। इसमें किताबी ज्ञान के साथ कौशल विकास भी किया जाएगा। इस प्रोग्राम में दाखिले की योग्यता 55 फीसदी अंकों के साथ 12वीं पास होना जरूरी होगा। इसमें प्रशिक्षित पेशेवर तैयार किए जाएंगे। यह प्रोग्राम दो सेमेस्टर पर आधारित 38 क्रेडिट का होगा। इस प्रोग्राम को एक साल में पूरा करने पर सर्टिफिकेट कोर्स मिलेगा।
पीजी डिप्लोमा प्रोग्राम: इसमें भी पहले साल की पढ़ाई पूरी करने पर पीजी सर्टिफिकेट तो दो साल के बाद पीजी डिप्लोमा मिलेगा। इसमें किसी भी स्ट्रीम में 45 फीसदी अंकों के साथ स्नातक डिग्री वाले दाखिला ले सकेंगे। यह दो सेमेस्टर में चलने वाला प्रोग्राम कुल 45 क्रेडिट का होगा।
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