माध्यमिक विद्यालयों में नवनियुक्त शिक्षकों को वेतन देने के मामले में दो व्यवस्था ने डेढ़ हजार राजकीय शिक्षकों के समक्ष खड़ा किया वेतन का संकट
प्रयागराज : माध्यमिक विद्यालयों में नवनियुक्त शिक्षकों को वेतन देने के मामले में दो व्यवस्था ने राजकीय शिक्षकों के समक्ष संकट खड़ा कर दिया है। इस कारण प्रदेश भर के डेढ़ हजार से अधिक शिक्षकों को नवंबर से वेतन नहीं मिल रहा है। इस स्थिति पर शिक्षकों व राजकीय शिक्षक संघ ने नाराजगी जताई है।
मांग उठाई है कि एडेड विद्यालयों के शिक्षकों की तरह शैक्षिक अभिलेख सत्यापित होने तक शपथपत्र लेकर राजकीय शिक्षकों का भी वेतन निर्गत किया जाए।राजकीय इंटर कालेज और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (रमसा) के तहत डेढ़ हजार से अधिक शिक्षकों को सितंबर और अक्टूबर माह में नियुक्ति मिली। इन शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेखों का सत्यापन अभी नहीं हुआ है।
नियुक्ति के बाद शैक्षिक अभिलेख सही होने का शपथपत्र लेकर दीपावली पर्व पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक के निर्देश पर अक्टूबर माह का वेतन निर्गत किया गया था। इसके बाद से वेतन निर्गत नहीं किया जा रहा है। इसके विपरीत उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों (एडेड) के लिए चयनित शिक्षकों को नियमित वेतन निर्गत किया। जा रहा है। एडेड विद्यालयों के शिक्षकों के लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने आदेश जारी किया है कि जब तक शैक्षिक अभिलेख का सत्यापन नहीं हो जाता है, तब तक शपथपत्र लेकर वेतन निर्गत किया जाए।
इस स्थिति पर राजकीय माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय महामंत्री रामेश्वर प्रसाद पाण्डेय ने कहा है कि सितंबर अक्टूबर में नियुक्ति पाए राजकीय माध्यमिक शिक्षकों को वेतन देने के मामले में भेदभाव किया जा रहा है। बताया कि इन शिक्षकों में अधिकांश संख्या राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत नियुक्त शिक्षकों की है, जिनके लिए बजट मिलने पर प्रायः देरी हो जाती है। इस समय बजट की उपलब्धता को देखते हुए इन शिक्षकों से भी शपथपत्र लेकर वेतन निर्गत किए जाने के लिए निदेशक को पत्र भी लिखा है।
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