छात्रों को लुभाने के लिए गलत जानकारी देने पर विश्वविद्यालयों पर लगेगा प्रतिबंध
दाखिला विज्ञापन और वेबसाइट पर NIRF रैंकिंग के गलत इस्तेमाल का मामला
दिल्ली। केंद्र सरकार ने सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों को चेतावनी दी है कि यदि दाखिले के विज्ञापन में राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) का गलत इस्तेमाल किया तो उन पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। विश्वविद्यालयों को तत्काल प्रभाव से वेबसाइट से गलत जानकारी हटाने का निर्देश दिया है। इसके अलावा सभी संस्थानों से रैंकिंग का गलत इस्तेमाल न करने का शपथपत्र भी मांगा गया है।
दरअसल कुछ विश्वविद्यालय कथित रूप से एनआईआरएफ रैंकिंग के नाम पर छात्रों और अभिभावकों को भ्रमित कर रहे हैं। कुछ विश्वविद्यालयों ने दाखिला विज्ञापन से लेकर वेबसाइट तक, रैंकिंग में बेहतरीन प्रदर्शन का दावा और फर्जी वर्ग तक बना लिया है। इसमें निजी विश्वविद्यालयों का नाम सबसे आगे है। कुछ विश्वविद्यालय कथित रूप से फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। मंत्रालय को फर्जीवाड़े की जानकारी मिलने के बाद एनआईआरएफ विभाग की ओर से सभी विश्वविद्यालयों को पत्र लिखा गया है। इसमें उन्हें चेतावनी दी गई है कि वे एनआईआरएफ रैंकिंग का गलत प्रयोग न करें।
रैंकिंग में शामिल नहीं ये वर्ग
एनआईआरएफ रैंकिंग में राज्य, जिला स्तर पर किसी संस्थान का आकलन नहीं होता है। इसके अलावा रैंकिंग में निजी वर्ग (निजी विश्वविद्यालय), सरकारी संस्थान, स्व वित्तपोषित और अलाभकारी जैसा कोई वर्ग ही नहीं है। जबकि कई विश्वविद्यालय दाखिला विज्ञापन और वेबसाइट में छात्रों को लुभाने के लिए राज्य और जिले में नंबर एक से लेकर निजी वर्ग में खुद को सर्वश्रेष्ठ की रैंकिंग में दिखा रहे हैं।
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