ग्रेच्युटी : सेवानिवृत्ति से पहले विकल्प नहीं, तब भी वारिस हकदार, हाईकोर्ट ने फिर दिया आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि 60 साल में सेवानिवृत्ति है विकल्प न भरने के कारण सेवाकाल में मृत अध्यापिका के पति को ग्रेच्युटी का भुगतान करने से इनकार नहीं किया
जा सकता। कोर्ट ने इसी के साथ जिला जासक शिक्षा अधिकारी प्रयागराजको • उषा रानी केस के फैसले के तहत याची की मांग पर तीन माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव जोशी ने विजय कुमार श्रीवास्तव की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।
फैसला हाईकोर्ट का : सेवानिवृत्ति से पहले विकल्प नहीं तो भी उत्तराधिकारी ग्रेच्युटी का हकदार
प्रयागराज: हाई कोर्ट ने कहा है कि 60 साल में सेवानिवृत्ति विकल्प नहीं भरने के कारण सेवाकाल में मृत अध्यापिका के पति को ग्रेच्युटी का भुगतान करने से इन्कार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रयागराज को ऊषा रानी केस में हुए फैसले के तहत याची की मांग पर तीन माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव जोशी ने विजय कुमार श्रीवास्तव की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता घनश्याम मौर्य ने बहस की। कहा कि याची की पत्नी प्राइमरी स्कूल में सहायक अध्यापिका थी। नौ नवंबर 2016 को उसकी मौत हो गई। अन्य सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान कर दिया गया किंतु यह कहते हुए ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं किया गया कि याची की पत्नी ने 60 साल में सेवानिवृत्त होने का विकल्प नहीं भरा है। नियमानुसार सभी अध्यापकों को सेवानिवृत्ति विकल्प भरने का निर्देश दिया गया था। यह 60 साल में सेवानिवृत्ति लेना का था अथवा दो साल सेवा विस्तार का।
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