उत्तर प्रदेश के पंजीकृत मान्यता प्राप्त मदरसों में पढ़ने वालों की संख्या लगातार कम होती जा रही, जानिए क्या है वजह
उत्तर प्रदेश के पंजीकृत मान्यता प्राप्त मदरसों में पढ़ने के प्रति नई पीढ़ी की दिलचस्पी लगातार कम होती जा रही है। इसका सुबूत हैं मदरसा शिक्षा परिषद के आंकड़े। इन आंकड़ों के अनुसार मुंशी मौलवी यानि सेकेण्ड्री और सीनियर सेकेण्ड्री पाठ्यक्रम में वर्ष 2016 में पंजीकृत व मान्यता प्राप्त मदरसों में परीक्षार्थियों की संख्या 4 लाख 22 हजार 627 थी जो इस साल यानि 2022 में घटकर महज 92000 रह गई है।
इसकी वजह मदरसों की पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्र-छात्राओं को मिलने वाले प्रमाण पत्र की कोई अहमियत न होना है। आज तक उ.प्र.मदरसा शिक्षा परिषद किसी भाषा विश्वविद्यालय से अपनी सम्बद्धता या अपने पाठ्यक्रमों की मान्यता हासिल नहीं कर सकी है।
परिषद के चेयरमैन डॉ.इफ्तेखार जावेद कुबूल करते हैं कि प्रदेश के मदरसों से पढ़कर निकलने वाले छात्र-छात्राओं को उनके प्रमाण पत्रों के आधार पर रोजगार नहीं मिलता। वह यह भी कहते हैं कि मदरसा शिक्षा परिषद की अभी तक किसी भाषाई विश्वविद्यालय से सम्बद्धता या परिषद के पाठ्यक्रमों को मान्यता नहीं मिलना भी छात्र-छात्राओं की तादाद कम होने की एक अहम वजह है।
उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव की आचार संहिता खत्म होने के तत्काल बाद परिषद की बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें इन सारे मुद्दों पर कई अहम फैसले होंगे। चेयरमैन कहते हैं - उ.प्र.मदरसा शिक्षा परिषद के पाठ्यक्रमों को रोजगारोन्मुख बनाना हमारी पहली प्राथमिकता होगी। इस बार मदरसों के छात्र-छात्राओं की संख्या कम होने की वजह वह कोरोना के चलते मदरसों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के रोजी रोजगार से लग जाना भी बताई जा रही है।
No comments:
Write comments