FYUP Rules : चार वर्षीय अंडर ग्रेजुएट डिग्री लेकर सीधे PhD में एडमिशन ले सकेंगे विद्यार्थी, यूजीसी नए अंडरग्रैजुएट प्रोग्राम का नोटिफिकेशन करेगी जारी
New Undergraduate Programme : यूजीसी आज नए अंडरग्रैजुएट प्रोग्राम का नोटिफिकेशन जारी करने वाली है। नए पाठ्यक्रम के तहत चार वर्षों की पढ़ाई पूरी करने वाले डिग्रीधारक एक वर्ष में ही मास्टर डिग्री ले सकेंगे और उनका सीधा पीएचडी में भी प्रवेश हो जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि इससे उच्च शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव आएंगे।
🔵 उच्च शिक्षा में क्रांतिकारी सुधारों की दिशा में आज के बड़ा कदम बढ़ने वाला है
🔵 यूजीसी चार वर्षीय अंडरग्रैजुएट प्रोग्राम को नोटिफिकेशन जारी करने वाली है
🔵 इस पाठ्यक्रम को पूरा करने वाल स्टूडेंट्स एक वर्ष में ही मास्टर डिग्री पा लेंगे
🔵 रिसर्च के साथ चार वर्ष का प्रोग्राम पूरा करने वाले स्टूडेंट्स सीधे पीएचडी कर सकेंगे
नई दिल्ली: केंद्र सरकार उच्च शिक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी परिवर्तन (Major changes in higher education system) लाने पर जोर दे रही है। इसी क्रम में चार वर्ष का नया अंडरग्रैजुएट प्रोग्राम पेश किया जाएगा। देश में उच्च शिक्षा की नियामक संस्था यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन (UGC) चार वर्ष में पूरी की जाने वाली पढ़ाई के लिए पाठ्यक्रम के साथ-साथ पीएचडी के नए नियमों (New Rules for PhD Admission) के नोटिफिकेशन भी जारी कर देगी। उच्च शिक्षा प्राप्त करने की चाहत रखने वाले लाखों विद्यार्थियों पर इसका सीधा असर होगा।
...तब सीधे पीएचडी में दाखिला लेने के योग्य हो जाएंगे ग्रेजुएट
अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया (ToI) ने चार वर्षीय अंडरग्रैजुएट प्रोग्राम के नियमों की कॉपी हासिल की है। इसमें कहा गया है कि 160 क्रेडिट का यह प्रोग्राम, अंडरग्रैजुएट लेवल के मौजूदा तीन वर्षीय चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (CBCS) की जगह लेगा। विद्यार्थियों को यह चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम पूरा करने के बाद सीधे पीएचडी कोर्स जॉइन करने का मौका मिलेगा। यूजीसी ने 10 मार्च की मीटिंग में यह फैसला लिया था। इसके तहत, रिसर्च के साथ चार वर्षीय पाठ्यक्रम पूरा करने वाले स्टूडेंट्स अब सीधे पीएचडी प्रोग्राम में दाखिला ले पाएंगे।
क्लास मोड बदलने की सुविधा
इसके अलावा, न्यू क्रेडिट सिस्टम में कोर्स के बीच में भी विद्यार्थियों को एक संस्था से निकलकर अन्य किसी संस्था में दाखिला लेने की छूट होगी। इतना ही नहीं, वो चाहेंगे तो पढ़ाई के तरीकों को भी बदल सकेंगे। मसलन, रोजाना क्लास अटेंड करने वाले स्टूडेंट किसी तरह की समस्या आने पर ऑनलाइन क्लास या हाइब्रिड क्लास में स्विच कर सकेंगे।
स्ट्रीम्स बदलने की भी छूट
यूजीसी के 'करिकुलर फ्रेमवर्क एंड क्रेडिट सिस्टम फॉर द फोर ईयर अंडरग्रैजुएट प्रोग्राम' के तहत नए अंडरग्रैजुएट प्रोग्राम्स में आर्ट्स और साइंस या करिकुलर और एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज या वोकेशनल और एकेडमिक स्ट्रीम्स के बीच दीवार नहीं होगी। यानी आर्ट्स लेने वाला विद्यार्थी जब चाहे साइंस कोर्स में स्विच कर सकता है। इसी तरह, साइंस वाले आर्ट्स में आ सकते हैं, वोकेशन वाले एकेडमिक स्ट्रीम्स में या फिर करिकुलर एक्टिविटीज वाले एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में और इसके उलट। नए पाठ्यक्रमों में भारत के गौरवशाली इतिहास, इसकी समृद्ध, विविध, प्राचीन और आधुनिक संस्कृति तथा ज्ञान प्रणाली एवं परंपराओं पर फोकस होगा।
मास्टर डिग्री भी एक साल में ही
अंडरग्रैजुएट डिग्री तीन या चार वर्षों की होगी। स्टूडेंट्स को अधिकार होगा कि वो इनमें किसका चुनाव करते हैं। इस दौरान उन्हें चयनित पाठ्यक्रम से निकलने और दूसरे किसी पाठ्यक्रम में प्रवेश के कई मौके मिलेंगे। इससे मास्टर और पीएचडी डिग्री के पाठ्यक्रम और अवधि में भी लचीलापन आएगा। चार वर्षीय अंडग्रैजुएट प्रोग्राम पास करने वाले एक वर्ष के मास्टर डिग्री प्रोग्राम और सीधे पीएचडी में प्रवेश के योग्य होंगे।
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