Old Pension Scheme : धीरे धीरे पुरानी पेंशन बन रही बड़ा मुद्दा, राजस्थान के बाद अन्य राज्यों में भी पुरानी पेंशन योजना शुरू करने की घोषणा
जागी पुरानी पेंशन बहाली की उम्मीद
राजस्थान सरकार ने विधानसभा में बजट पेश करते हुए पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा के बाद अब अन्य राज्यों में भी यह मुद्दा उठने लगा है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह कदम करीब साढ़े सात लाख सरकारी कर्मचारियों को खुश करने के लिए उठाया था।
नई दिल्ली। राजस्थान सरकार ने गत बुधवार को विधानसभा में बजट पेश करते हुए पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा के बाद अब अन्य राज्यों में भी यह मुद्दा उठने लगा है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह कदम प्रदेश के करीब साढ़े सात लाख सरकारी कर्मचारियों को खुश करने के लिए उठाया था। क्योंकि अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में अब उत्तर प्रदेश और पंजाब के चुनाव में भी यह मुद्दा उठ रहा है। वहीं, गैर भाजपा शासित छत्तीसगढ़ में भी सरकार ने पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा कर दी है। इससे राज्य के कर्मचारियों की उम्मीदें बढ़ गई है। वहीं, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी सत्ता में आने पर योजना को फिर से शुरू करने की बात कही है।
पंजाब में शिअद (ब) ने किया वादा
शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने अपने चुनाव घोषणापत्र में सरकारी कर्मचारियों से वादा किया है उनकी पार्टी सत्ता में आई तो 2004 के बाद बंद हुई पेंशन योजना को फिर से शुरू किया जाएगा। यह योजना कैप्टन अमरिंदर सिंह के 2002-07 के कार्यकाल में बंद हो गई थी। पंजाब में इस समय कंट्रीब्यूटरी पेंशन सिस्टम लागू है। जितना पैसा सरकारी कर्मचारी का कटता है उतना ही सरकार अपना अशंदान देकर उसके पेंशन फंड में जमा करवाती है। सुखबीर बादल ने घोषणापत्र जारी करते हुए वादा किया था कि उनकी सरकार बनने पर पेंशन के पुराने सिस्टम को बहाल किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ में भी लागू होगी पुरानी पेंशन योजना
छत्तीसगढ़ में भी सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना लागू हो सकती है। इसी महीने हुई कैबिनेट की बैठक में इस पर मंथन के बाद वित्त विभाग को अध्ययन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। पुरानी पेंशन योजना लागू होने से 2004 के बाद सेवा में आए दो लाख 95 हजार से अधिक कर्मचारियों को फायदा होगा। वित्त विभाग के अफसरों के अनुसार पुरानी पेंशन योजना लागू करने राज्य पर पड़ने वाले वित्तीय भार का अध्ययन किया जा रहा है। हालांकि इससे तुरंत कोई भार नहीं पड़ेगा।
इसके पीछे तर्क यह है कि 2004 के बाद सेवा में आने वाले 2030-35 में सेवानिवृत्त होंगे। वहीं, पुरानी योजना में राज्य सरकार को कोई अंशदान देना नहीं पड़ेगा। इससे अभी जो अंशदान दिया जा रहा है वह राशि बचेगी। इस दौरान 10 वर्ष की सेवा के बाद दिवंगत हुए कर्मचारियों के मामले में थोड़ी दिक्कत हो सकती है। इस पर सरकार को फैसला करना होगा।
हिमाचल में बहाल हो सकती है पुरानी पेंशन योजना
हिमाचल प्रदेश में चुनावी वर्ष में बजट में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की घोषणा हो सकती है। राज्य में न्यू पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत आए कर्मचारियों के आंदोलन व विधानसभा में विपक्ष की पैरवी से सरकार पर ओपीएस बहाली का दबाव है। बजट तैयार कर रहे वित्त विभाग के अधिकारियों ने इस संबंध में चर्चा की है।
नई-पुरानी पेंशन योजना में अंतर
2004 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने देशभर में नई पेंशन योजना लागू की थी। इसके तहत कर्मचारियों के वेतन से प्रतिमाह 10 प्रतिशत कटौती कर सेवानिवृत्ति पर यह रकम एकमुश्त देने का प्रविधान किया गया था। सेवानिवृत्ति के बाद चिकित्सा भत्ता और पारिवारिक पेंशन को बंद कर दिया गया था। पुरानी पेंशन योजना में सेवानिवृत्ति पर अंतिम वेतन की 50 प्रतिशत राशि कर्मचारियों को मिलती थी। पेंशन की राशि सरकार वहन करती थी। पेंशन के लिए वेतन से कटौती नहीं होती थी। सेवाकाल में कर्मचारी की मृत्यु होने पर आश्रितों को पारिवारिक पेंशन और नौकरी का प्रविधान था।
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