कोरोना का समाज पर असर जानने के बाद मिलेगी UG-PG की डिग्री
यूजीसी ने फॉस्टरिंग सोशल रिस्पांसबिलिटी और कम्यूनिटी एंगेजमेंट का प्रारूप तैयार किया
नई दिल्ली। यूरोपीय देशों की तर्ज पर अब भारतीय विश्वविद्यालय और कॉलेजों में स्नातक और स्नातकोत्तर समेत रिसर्च के लिए छात्रों को सामाजिक ताने-बाने को समझना भी जरूरी होगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इसका प्रारूप तैयार किया है।
आईआईटी, आईआईएम, इंजीनियरिंग, मेडिकल समेत सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में आगामी सत्र से यह लागू होगा। चूंकि, कोरोना महामारी ने समाज के हर तबके को प्रभावित किया है, इसलिए छात्रों को अब उसके असर के बारे में क्लासरूम और फील्ड अध्ययन करने के बाद ही डिग्री दी जाएगी।
इस कवायद का मकसद है कि महामारी के कारण समाज पर पड़े असर के बारे में छात्र-छात्राएं जागरूक हो सकें। उन्हें रोजमर्रा में आने वाली चुनौतियों की जानकारी हो। इससे उच्च शिक्षण संस्थानों और स्थानीय निकायों के बीच रोजमर्रा की समझ भी विकसित होगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सचिव प्रो. रजनीश जैन की ओर से सभी राज्यों और उच्च शिक्षण संस्थानों को फॉस्टरिंग सोशल रिस्पांसबिलिटी और कम्यूनिटी एंगेजमेंट का प्रारूप भेजा गया है।
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