DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बागपत बाँदा बांदा बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लख़नऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Saturday, April 16, 2022

हाईकोर्ट के आदेश के 11 साल बाद अध्यापक को बर्खास्त करने पर लगी न्यायालय की रोक

हाईकोर्ट के आदेश के 11 साल बाद अध्यापक को बर्खास्त करने पर लगी न्यायालय की रोक



प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के 11 साल बाद शिक्षा निदेशक माध्यमिक उप्र लखनऊ द्वारा महाराजगंज के अध्यापक गोविंद प्रसाद द्विवेदी की सेवा समाप्ति के आदेश पर रोक लगा दी है। साथ ही कोर्ट ने याची अध्यापक को कार्य करने देने तथा वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया है। हटाए जाने में अनावश्यक देरी पर राज्य सरकार सहित विपक्षियों से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई जुलाई में होगी।


 यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने गोविंद प्रसाद द्विवेदी की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि उसे नियुक्ति से 22 साल बाद बर्खास्त कर दिया गया है। राष्ट्रीय पत्राचार संस्थान कानपुर की शिक्षा अलंकार डिग्री को हाईकोर्ट ने विनोद कुमार उपाध्याय केस में 2011 में अमान्य घोषित कर इस डिग्री के आधार पर नियुक्त सभी अध्यापकों को हटाने का निर्देश दिया था। इसी आदेश के आधार पर 22 साल पहले नियुक्त याची की सेवा समाप्त कर दी गई। शिक्षा निदेशक ने वजह नहीं बताई कि सेवा समाप्त करने में 11 साल क्यों लगे। 


सेवा समाप्ति आदेश नौ फरवरी 22 की वैधता को चुनौती दी गई है। याची का कहना है कि उसे नियमित कर दिया गया है। फिर भी इंटर मीडिएट एक्ट की धारा 16 ई (10) के तहत बर्खास्त किया गया है। आशा सक्सेना केस में पूर्णपीठ ने अपने फैसले में कहा है कि उचित समयावधि में आदेश दिया जाना चाहिए। शिक्षा निदेशक ने नहीं बताया कि समय रहते आदेश क्यों नहीं दिया। दरअसल, शिक्षा अलंकार डिग्री को अमान्य घोषित करने के बाद बहुत से अध्यापक हटाए नहीं गए तो हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई। तत्कालीन सचिव ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया कि इस डिग्री से नियुक्त सभी अध्यापकों को हटा दिया गया है। 


इसके बाद अलीगढ़ के अरुण कुमार ने अवमानना याचिका दायर कर आरोप लगाया कि तीन अध्यापक अभी भी कार्यरत हैं। अब हाईकोर्ट के आदेश के 11 साल बाद शिक्षा अलंकार डिग्री से नियुक्त याची को हटाने का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने अनावश्यक देरी से पारित आदेश पर हस्तक्षेप करते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है।

No comments:
Write comments