स्नातक की पढ़ाई पूरी करने को मिलेंगे नौ साल
लखनऊ । स्नातक स्तर पर सत्र 2021-22 से लागू राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थियों को कई तरह की सहूलियतें भी दी गई हैं। तीन वर्ष के स्नातक पाठ्यक्रम के किसी भी एक वर्ष को पूरा करने की अधिकतम अवधि तीन वर्ष होगी। इस तरह किसी विद्यार्थी को स्नातक पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए अधिकतम नौ वर्ष मिलेंगे।
स्नातक के पाठ्यक्रमों में अब ग्रेडिंग प्रणाली, इस तरह तय होगा उत्तीर्ण प्रतिशत।
2021-22 से लागू राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थियों को कई तरह की सहूलियतें, स्नातक की पढ़ाई पूरी करने को मिलेंगे नौ वर्ष, खबर पढ़ें सबसे नीचे
योगी सरकार का बड़ा फैसला: नए पैटर्न से होंगी यूपी बोर्ड 10वीं-12वीं की परीक्षाएं, ग्रेजुएशन में लागू होगा ग्रेडिंग सिस्टम
लखनऊ : बीए, बीएससी व बीकाम में पढ़ने वाले छात्र-छात्रओं को परीक्षा में अब अंकों के साथ ग्रेड भी मिलेंगे। इससे विद्यार्थी प्रथम, द्वितीय या तृतीय श्रेणी में उत्तीर्ण होने की जगह ए प्लस, ए, बी प्लस और बी जैसे ग्रेड लिखे होंगे। शासन ने सभी राज्य व निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को स्नातक पाठ्यक्रमों में 10 प्वाइंट ग्रे¨डग प्रणाली लागू करने का आदेश दिया है।
प्रदेश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में स्नातक स्तर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप पाठ्यक्रम शैक्षिक सत्र 2021-22 में लागू कर दिए गए हैं। इस संबंध में 13 जुलाई 2021 को जारी शासनादेश में विस्तृत दिशा-निर्देश हैं। अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा मोनिका एस गर्ग ने कुलपतियों को भेजे आदेश में लिखा है कि सभी विश्वविद्यालयों में समान व्यवस्था लागू हो गई है। विद्यार्थी एक विश्वविद्यालय या महाविद्यालय से दूसरे में स्थानांतरित किए जा सकते हैं। इसके लिए प्रदेश स्तरीय एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट पोर्टल पर डाटा अपलोड है।
गर्ग ने आदेश में लिखा है कि स्टीयरिंग कमेटी की ओर से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशा-निर्देशों पर आधारित एनईपी 2020 के तहत बीए, बीएससी व बीकाम के प्रथम तीन वर्ष के लिए ग्रे¨डग प्रणाली लागू किए जाने के संबंध में सुझाव दिए गए हैं, जिन्हें सभी को भेजा जा रहा है।
अपर मुख्य सचिव ने इस पर अमल के लिए कोई तारीख तय नहीं की है। विद्यार्थी को वर्तमान सेमेस्टर से अगले सेमेस्टर में प्रोन्नत किया जाएगा, चाहे परिणाम कुछ भी हो। इसके लिए शर्तें तय की गई हैं, विद्यार्थी ने दो सेमेस्टर में कुल क्रेडिट्स के 50 प्रतिशत क्रेडिट के पेपर उत्तीर्ण कर लिए हों। इसी तरह से तीन मुख्य विषयों के सभी पेपर के कुल क्रेडिट का 50 प्रतिशत पेपर उत्तीर्ण कर लिए हों। वहीं, द्वितीय से तृतीय वर्ष में प्रोन्नति के लिए पहले वर्ष के आवश्यक क्रेडिट्स के सभी पेपर व सह पाठ्यक्रम उत्तीर्ण करना आवश्यक होगा।
’>>बीए, बीएससी, बीकाम के पहले तीन वर्ष में छात्रों को अंक के साथ दें ग्रेड
’>>राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यक्रम सत्र 2021-22 में लागू
ऐसे तय होंगे डिवीजन
प्रथम श्रेणी : 6.50 या उससे अधिक व 10 से कम सीजीपीए
द्वितीय श्रेणी : 5.00 या उससे अधिक व 6.50 से कम सीजीपीए
तृतीय श्रेणी : 4.00 या उससे अधिक व 5.00 से कम सीजीपीए
नोट : सीजीपीए यानी क्यूमुलेटिव ग्रेड प्वाइंट एवरेज
बैक पेपर या सुधार परीक्षा
’>>आंतरिक परीक्षा में बैक पेपर या सुधार परीक्षा नहीं होगी, केवल पूर्ण सेमेस्टर की दोबारा परीक्षा विश्वविद्यालय कराएगा। इसमें आंतरिक मूल्यांकन भी किया जा सकता है। एक विद्यार्थी दो सेमेस्टर की पूरी परीक्षाएं एक साथ नहीं दे सकेगा।
’>>विद्यार्थी को बैक पेपर या सुधार परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम वही होगा जो वर्तमान सेमेस्टर जिसमें वह परीक्षा दे रहा है। विद्यार्थी बैक पेपर चाहे कितनी बार दे सकता है, किंतु अब केवल एक वर्ष के पहले के पेपर्स के लिए ही उपलब्ध होगी।
’>>किसी भी एक वर्ष को पूरा करने की अधिकतम अवधि तीन वर्ष होगी।
इस तरह तय होगा उत्तीर्ण प्रतिशत
’>>छात्र-छात्रओं के क्वालीफाइंग पेपर में क्वालीफाइड के लिए क्यू और नाट क्वालीफाइड के लिए एनक्यू ग्रेड दिया जाएगा। सभी विषयों का उत्तीर्ण प्रतिशत अब 33 ही होगा। छह सह पाठ्यक्रम कोर्स व तृतीय वर्ष में लघु शोध का उत्तीर्णांक 40 प्रतिशत होगा।
’>>चार कौशल विकास कोर्स का भी उत्तीर्णांक 40 प्रतिशत रखा गया है, इसमें प्रैक्टिकल आधारित कार्य का मूल्यांकन 60 अंकों से और थ्योरी आधारित कार्य का मूल्यांकन 40 अंकों से किया जाएगा।
’>>सभी विषयों के हर कोर्स पेपर में थ्योरी व प्रैक्टिकल सहित अधिकतम 100 अंकों में से प्राप्तांक की गणना 25 अंकों के आंतरिक व 75 अंकों के वाह्य मूल्यांकन में मिले अंकों को जोड़कर की जाएगी। 75 में से न्यूनतम 25 अंक व उत्तीर्ण होने के लिए दोनों में न्यूनतम 33 अंक लाने होंगे।
’>>सह पाठ्यक्रम व लघु शोध की थ्योरी व प्रैक्टिकल परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए 75 में से न्यूनतम 30 अंक और दोनों को मिलाकर न्यूनतम 40 प्रतिशत अंक पाने होंगे।
’>>किसी भी कोर्स व प्रश्नपत्र के आंतरिक मूल्यांकन में कोई न्यूनतम उत्तीर्ण प्रतिशत नहीं है। यदि किसी विद्यार्थी को आंतरिक मूल्यांकन में शून्य व वाह्य मूल्यांकन में 33 या फिर सह पाठ्यक्रम में 40 प्रतिशत अंक मिलते हैं तो भी वह उत्तीर्ण होगा। आंतरिक मूल्यांकन में अनुपस्थित पर भी शून्य अंक मिलेंगे।
’>>किसी भी तरह का कृपांक यानी ग्रेस मार्क्स नहीं दिए जाएंगे।
स्नातक पाठ्यक्रमों में लागू हुई ग्रेडिंग प्रणाली
लखनऊ : प्रदेश के विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों में बीए, बीएससी व बी कॉम में ग्रेडिंग प्रणाली लागू कर दी गई है। बुधवार को उच्च शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव मोनिका एस गर्ग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। ग्रेस अंक नहीं दिए जाएंगे।
प्रणाली यूजीसी के दिशानिर्देशों पर आधारित है। ये ग्रेडिंग प्रणाली पहले तीन वर्षों के लिए लागू होगी। इसमें शून्य से लेकर 10 अंक तक दिए जाएंगे। पांच अंक पाने वाले औसत की श्रेणी में शामिल होंगे। मुख्य व माइनर विषयों में उत्तीर्ण प्रतिशत 33 ही होगा। छह सह पाठ्यक्रम कोर्सों व तीसरे वर्ष में लघु शोध केवल अर्हता के लिए है और न्यूनतम उत्तीर्णांक 40 फीसदी होगा। चार कौशल विकास कोर्सों में भी उत्तीर्णांक 40 फीसदी होगा। 60 अंकों का प्रैक्टिकल मूल्यांकन होगा।
ग्रेडिंग प्रणाली में 33 अंक लाना अनिवार्य
लखनऊ : प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय और पीजी कॉलेज में ग्रेडिंग प्रणाली के तहत सभी विषयों के सभी तरह के पेपरों में अधिकतम 100 में से प्राप्तांकों की गणना 25 अंक सतत आंतरिक मूल्यांकन और 75 अंक विवि की बाह्य परीक्षा के अंकों को जोड़ कर की जाएगी।
सभी तरह के विषयों में पास होने के लिए बाह्य परीक्षा में 75 में से 25 अंक लाना अनिवार्य होगा और आतंरिक व बाह्य मिलाकर 33 प्रतिशत अंक लाने अनिवार्य होंगे। यदि किसी विद्यार्थी को आतंरिक मूल्यांकन में शन्य अंक व बाह्य परीक्षा में न्यूनतम 33 या 40 फीसदी (सह पाठ्यक्रमों-लघु शोध विषयों) अंक मिलेंगे तो वह पास माना जाएगा। आतंरिक मूल्यांकन में अनुपस्थिति में शून्य अंक ही मिलेंगे। विद्यार्थी को विषम सेमेस्टर से सम सेमेस्टर में अनिवार्य रूप से प्रोन्नत किया जाएगा, चाहे विषम सेमेस्टर का परिणाम कुछ भी हो।
ग्रेड विवरण अंकों की सीमा ग्रेड प्वाइंट
ओ असाधारण 91-100 10
ए प्लस उत्कृष्ट 81-90 9
ए बहुत अच्छा 71-80 8
बी प्लास अच्छा 61-70 7
बी औसत से ऊपर 51-60 6
सी औसत 41-50 5
पी पास 33-40 4
एफ फेल 0-32 0
एबी अनुपस्थित अनुपस्थित 0
क्यू उत्तीर्ण
एनक्यू अनुतीर्ण
योगी सरकार का बड़ा फैसला: नए पैटर्न से होंगी यूपी बोर्ड 10वीं-12वीं की परीक्षाएं, ग्रेजुएशन में लागू होगा ग्रेडिंग सिस्टम
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब माध्यमिक शिक्षा परिषद की 10वीं-12वीं की परीक्षाएं नए पैटर्न से होंगी। इसके अलावा प्रदेश के सभी राज्य एवं निजी विश्वविद्यालयों में बीए. बी.कॉम और बीएससी के स्नातक पाठ्यक्रमों में ग्रेडिंग प्रणाली लागू की जाएगी।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाई स्कूल बोर्ड परीक्षा-2023 नए पैटर्न से होगी। परीक्षा में एक प्रश्न पत्र बहुविकल्पीय दिया जाएगा, जिसका उत्तर ओएमआर शीट पर देना होगा। 2025 से इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षा में भी यह पैटर्न लागू किया जाएगा। वहीं विद्यार्थियों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए कक्षा 9वीं और 11वीं में इंटर्नशिप कार्यक्रम लागू किया जाएगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष बुधवार को बेसिक, माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा और खेल विभाग की आगामी योजनाओं का प्रस्तुतीकरण किया गया। आगामी पांच वर्ष में सभी ब्लॉकों में हाई स्कूल और इंटर कॉलेज की स्थापना की जाएगी।
माध्यमिक शिक्षा विभाग के प्रस्तुतीकरण में अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला ने बताया कि प्रदेश में राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण की स्थापना की जाएगी। प्राधिकरण के जरिये पांच वर्ष में विद्यालयों का मूल्यांकन एवं सर्टिफिकेशन भी किया जाएगा। विद्यालयों में विद्यार्थियों को रोजगान्मुख शिक्षा के लिए कौशल विकास का प्रशिक्षण और प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा।
सभी विद्यालयों में स्मार्ट क्लासरूम, रियल टाइम मानिटरिंग, स्टूडेंट ट्रैकिंग सिस्टम और एकीकृत डाटा प्रबंधन प्रणाली की व्यवस्था लागू की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यूजीसी ने एक साथ दो डिग्री प्राप्त करने के लिए स्वीकृति दी है। प्रदेश में यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार योजना बनाने के निर्देश दिए।
संस्कृत शिक्षा निदेशालय का गठन होगा
दो वर्षों के भीतर संस्कृत शिक्षा निदेशालय का गठन किया जाएगा। एकीकृत डाटा प्रबंधन प्रणाली लागू किया जाएगा। संस्कृत को तकनीकी के माध्यम से रोजगार से जोड़ने के लिए 180 घंटे का सर्टिफिकेट और 360 घंटे का डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा।
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी की ओर से ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे। संस्कृत की पारंपरिक विद्या, कर्मकांड, ज्योतिष, वास्तुशास्त्र और योग का प्रशिक्षण दिया जाएगा। अर्चक और पुरोहित तैयार करने की दिशा में कार्रवाई तेज की जाएगी।
यूपी में ग्रेजुएशन में लागू होगा ग्रेडिंग सिस्टम
प्रदेश के सभी राज्य एवं निजी विश्वविद्यालयों में बीए. बी.कॉम और बीएससी के स्नातक पाठ्यक्रमों में ग्रेडिंग प्रणाली लागू की जाएगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत सभी विश्वविद्यालयों में समान व्यवस्था और विद्यार्थियों का एक विश्वविद्यालय या महाविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय या महाविद्यालय में अबेकस-यूपी के जरिये स्थानांतरण की व्यवस्था को लागू करने के लिए दस पाइंट ग्रेडिंग व्यवस्था लागू की जाएगी।
उच्च शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव मोनिका.एस.गर्ग ने सभी कुलपतियों को ग्रेडिंग प्रणाली लागू करने के निर्देश दिए है। ग्रेडिंग व्यवस्था में मुख्य या माइनर विषयों के प्रत्येक लिखित या प्रयोगात्मक परीक्षा के क्रेडिट स्कोर्स निर्धारित है। इन सभी का उत्तीर्ण प्रतिशत वर्तमान में प्रचलित 33 प्रतिशत ही रहेगा।
सह-पाठ्यकरम कोर्स तथा तृतीय वर्ष में लघु शोध में उत्तीर्ण करने के लिए न्यूनतम 40 प्रतिशत अंक आवश्यक होंगे। चार कौशल विकास कोर्स में भी उत्तीर्णांक 40 प्रतिशत ही निर्धारित किए है। कौशल विकास और रोजगारपरक पाठ्यक्रम में पूर्णांक 100 निर्धारित किए गए हैं। इनमें प्रशिक्षण और प्रयोगात्मक परीक्षा का मूल्यांकन 60 अंकों और लिखित परीक्षा का मूल्यांकन 40 अंकों में से होगा। इसमें भी न्यूनतम उत्तीर्णांक 40 ही रखे गए है।
सभी विषयों के मुख्य, माइनर और सह पाठ्यक्रम में अधिकतम 100 अंक मेंसे प्राप्तांक की गणना 25 अंकों के आतंरिक मूल्यांकन और 75 अंकों की विश्वविद्यालय परीक्षा में प्राप्त अंकों को जोड़कर की जाएगी। विद्यार्थी को लिखित और प्रयोगात्मक परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए 75 में से न्यूनतम 25 अंक (33 प्रतिशत) अंक प्राप्त करने होंगे। आंतरिक मूल्यांकन और विश्वविद्यालय परीक्षा में कुल 33 प्रतिशत अंक प्राप्त करने होंगे।
न्यूनतम उत्तीर्ण प्रतिशत नहीं रहेगा
किसी भी पाठ्यक्रम या पेपर में आंतरिक मूल्यांकन में कोई उत्तीर्ण प्रतिशत नहीं रहेगा। यदि किसी विद्यार्थी ने आंतरिक मूल्यांकन में शून्य अंक प्राप्त किए हैं और विश्वविद्यालय की परीक्षा में 33 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं तो वह उत्तीर्ण माना जाएगा। आंतरिक मूल्यांकन में अनुपस्थित रहने पर भी शून्य अंक ही मिलेंगे।
2021-22 से लागू राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थियों को कई तरह की सहूलियतें, स्नातक की पढ़ाई पूरी करने को मिलेंगे नौ वर्ष
लखनऊ : स्नातक स्तर पर सत्र 2021-22 से लागू राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थियों को कई तरह की सहूलियतें भी दी गई हैं। तीन वर्ष के स्नातक पाठ्यक्रम के किसी भी एक वर्ष को पूरा करने की अधिकतम अवधि तीन वर्ष होगी। इस तरह किसी विद्यार्थी को स्नातक पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए अधिकतम नौ वर्ष मिलेंगे।
प्रदेश के विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों में बीए, बीएससी व बीकॉम में ग्रेडिंग प्रणाली लागू करने के संबंध में जारी शासनादेश में कई तरह के बदलावों को शामिल किया गया है। इसमें कहा गया है कि यदि कोई विद्यार्थी सततता में तीन वर्षों की पढ़ाई करता है तो उसे अधिकतम नौ वर्ष मिलेंगे। यदि विद्यार्थी किसी एक वर्ष का सर्टिफिकेट या डिप्लोमा लेकर चला जाता है तो वह बाकी के वर्षों की पढ़ाई दोबारा शुरू करने के लिए कभी भी वापस आ सकता है तथा उसे आगे के वर्षों की पढ़ाई पूरा करने के लिए तीन वर्ष (प्रति एक वर्ष की पढ़ाई) के मिलेंगे।
आंतरिक परीक्षा में बैकपेपर की सुविधा नहीं : शासनादेश में व्यवस्था दी गई है कि आतंरिक परीक्षा में बैकपेपर या इम्प्रूवमेंट की परीक्षा नहीं होगी। केवल पूर्ण सेमेस्टर को बैकपेपर के रूप में दोबारा देने की स्थिति में परीक्षा के साथ आंतरिक मूल्यांकन भी किया जा सकता है। हालांकि एक विद्यार्थी दो पूर्ण सेमेस्टर्स की संपूर्ण परीक्षाएं एक साथ नहीं दे सकेगा। विद्यार्थी को सम सेमेस्टर का बैकपेपर सम सेमेस्टर और विषम सेमेस्टर का बैकपेपर विषम सेमेस्टर में ही देने की सुविधा मिलेगा।
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