कम हो जाएंगे प्रधानाध्यापक के हजारों पद, कम छात्र संख्या वाले प्राथमिक स्कूलों में नहीं होगा प्रधानाध्यापक का पद
संविलयन के बाद प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक को जूनियर हाईस्कूल में सहायक अध्यापक का पदनाम देने का निर्देश
लखनऊ। एक ही परिसर में संचालित बेसिक शिक्षा के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के संविलियन के बाद परिषदीय स्कूलों में प्रधानाध्यापक के हजारों पद कम हो जाएंगे। शासन ने संविलयन के बाद प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक को जूनियर हाई स्कूल में सहायक अध्यापक का पद देने निर्देश दिए हैं।
शासन के निर्देश पर एक ही परिसर संचालित प्राथमिक और जूनियर हाई स्कूल का संविलियन किया गया है। हालांकि कुछ विद्यालय ऐसे हैं जहां संविलियन ठीक से नहीं हुआ है। इससे पदों के निर्धारण में गड़बड़ी हो रही है। परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल ने निर्देश दिए हैं कि संविलियन ठीक ढंग से किया जाए और संविलित विद्यालयों का यूडाइस कोड सही अंकित किया जाए। उधर, संविलियन के बाद बड़ी संख्या में प्रधानाध्यापकों के पद समाप्त हो रहे हैं। परिषद के सचिव ने इसका भी आदेश जारी कर दिया है।
शिक्षक संघ ने जताई आपत्तिः उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने परिषदीय स्कूलों में प्रधानाध्यापक के पदों में कमी पर आपत्ति की है। उन्होंने बताया कि सरकार सौ से कम छात्र संख्या वाले जूनियर हाई स्कूल और 150 से कम संख्या वाले प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक का पद नहीं दे रही है।
प्रदेश में हजारों की संख्या में ऐसे स्कूल हैं जहां छात्र संख्या कम है इसके चलते प्रधानाध्यापक पद समाप्त हो रहे । वहीं संविलियन से भी प्रधानाध्यापक के पद समाप्त हो रहे है। इससे 30-35 वर्ष की सेवा के बाद भी शिक्षक सहायक अध्यापक पद से ही सेवानिवृत्त हो रहे है। उन्होंने सरकार से प्रत्येक जूनियर हाई स्कूल में प्रधानाध्यापक का पद सृजित करने की मांग की है।
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