शिक्षा विभाग के कुछ और अधिकारियों पर गिर सकती है गाज, जानिए क्यों?
माध्यमिक शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि विनय पाण्डेय पर यूपी बोर्ड के कामों में रुचि न लेने, कुछ मामलों में बहुत देर से कार्रवाई करने, हाईकोर्ट के कुछ प्रकरणों में बिना शासन से परीक्षण करवाए रिपोर्ट देने के आरोप हैं। निलम्बन अवधि में वह महानिदेशक स्कूल शिक्षा से सम्बद्ध रहेंगे। सूत्रों के मुताबिक, अभी एक-दो और अफसरों पर गाज गिर सकती है।
विनय पाण्डेय को 21 अप्रैल को माध्यमिक शिक्षा विभाग से हटाया गया था। विभागीय मंत्री गुलाब देवी भी उनकी कार्यशैली से संतुष्ट नहीं थीं। विनय पाण्डेय को वर्ष 2018 में निदेशक के पद का कार्यभार सौंपा गया था।
वर्ष 2021 में उन्हें प्रोन्नत कर निदेशक बनाया गया। बीते पांच सालों से यूपी बोर्ड को नकलविहीन छवि बनाने में राज्य सरकार सफल रही थी लेकिन इस वर्ष पेपर लीक कांड हो गया। 24 जिलों में पेपर दोबारा लिया गया।
सपा सरकार में थी पहुंच योगी ने किया था बर्खास्त
विनय पांडे को सपा सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2016 में हाईकोर्ट ने बर्खास्त करने का आदेश दिया था लेकिन इस पर तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार ने इस पर अमल नहीं किया। बाद में भाजपा सरकार बनने के बाद वर्ष 2018 में उनकी बर्खास्तगी के फैसले पर अमल किया गया और उन्हें बर्खास्त कर दिया।
इस पर विनय कुमार ने हाईकोर्ट से स्टे लिया और विभाग ने उन्हें दोबारा बहाल करते हुए माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक का कार्यभार सौंप दिया था।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक के पद से हटाए गए विनय कुमार पाण्डेय को अब किया गया निलंबित
बड़ी कार्रवाई : सीएम योगी ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक विनय पांडेय को किया निलंबित
मुख्यमंत्री योगी ने तत्कालीन शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) विनय पांडये को निलंबित करने का आदेश दिया है, जो आधिकारिक कर्तव्यों का ठीक से निर्वहन नहीं करने, सरकारी कार्यों के प्रति लापरवाही और उदासीनता और सरकारी स्तर के निर्देशों का पालन न करने के लिए प्रथम दृष्टया दोषी मिले हैं।
विनय पांडे को 21 अप्रैल को माध्यमिक शिक्षा निदेशक के पद से हटा दिया गया था और उन्हें साक्षरता वैकल्पिक शिक्षा, उर्दू और प्राच्य भाषाओं के निदेशक के रूप में तैनात किया गया था। पिछले महीने बलिया में प्रश्नपत्र लीक होने के बाद 24 जिलों में उत्तर प्रदेश माध्यमिक विद्यालय बोर्ड की परीक्षा रद्द कर दी गई थी। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने मामले में कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लागू करने का आदेश दिया था। रद्द की गई परीक्षा 13 अप्रैल को फिर से आयोजित की गई थी।
मुख्यमंत्री कार्यालय के एक ट्वीट में कहा गया, "मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही पर एक और सख्त कार्रवाई। तत्कालीन शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) को निलंबित कर दिया गया।"
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