कैसे संभव 20 फीसदी नांमाकन? जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर ही करीब डेढ़ फीसदी तो एक साल में कहां से बढ़ेंगे बीस फीसदी बच्चे।
फतेहपुर : इन दिनों दोआबा के परिषदीय शिक्षकों के सामने अजीब स्थिति पैदा हो गई है। बेसिक शिक्षा विभाग ने अपने हेडमास्टरों व शिक्षकों से कहा है कि नवीन शैक्षिक सत्र में गत सत्र के मुकाबले बीस फीसदी की वृद्धि होनी चाहिए। इतना बड़ा लक्ष्य देख भीषण तपिश में शिक्षकों के शरीर से पसीना निकलने की दर में जरूर इजाफा हो गया है।
एक साल में कहां से बढ़ेंगे बीस फीसदी बच्चे: नाम न छापने की शर्त पर शिक्षक कहते हैं कि जब जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर ही करीब डेढ़ फीसदी के आसपास है तो हम नामांकन में सिर्फ एक साल में बीस फीसदी का इजाफा कैसे कर सकते हैं। वह बीस फीसदी नामांकन किस तरह बढ़ाएंगे, यह बड़ा सवाल है।
पहले कक्षा पांच व आठ की हो भरपाई: शिक्षक कहते हैं कि मान लीजिए किसी छोटे गांव में स्थित विद्यालय में गत सत्र में कक्षा पांच उत्तीर्ण कर 30 बच्चे निकल गए तो इन 30 बच्चों की तो भरपाई हो, फिर हम बीस फीसदी इजाफे के बारे में सोचेंगे। छोटे से गांवों में बड़ी संख्या में उत्तीर्ण बच्चों की भरपाई ही लक्ष्य साबित हो रही है।
न्यूनतम वृद्धि दर वाले जिलों में था फतेहपुर
2011 की जनगणना में यह जिला न्यूनतम दशकीय वृद्धि करने वाले टाप फाइव जिलों में शुमार था। इसकी दशकीय वृद्धि दर 14.05 प्रतिशत दर्ज की गई थी। 20 नामांकन बढ़ोत्तरी पर सवाल हो रहे हैं।
प्रत्येक ग्राम पंचायतों में अभी कई बच्चे हैं जो स्कूल से दूर हैं। शिक्षकों से पिछले सत्र में गए बच्चों की भरपाई का ही लक्ष्य दिया गया है। पिछले सत्र में करीब 40 हजार बच्चे आगे की पढ़ाई के लिए निकले हैं। -संजय कुशवाहा, बीएसए
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