अनुदेशकों के मानदेय में प्रदेश सरकार को कितना बजट दिया, नहीं बता सका केंद्र, अगली सुनवाई 24 मई को
New update 21 May 2022
इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत लगभग 27000 से अधिक अनुदेशकों का मानदेय 17000 रुपये प्रतिमाह देने के एकल खंडपीठ के निर्णय के खिलाफ प्रदेश सरकार की अपीलों पर शुक्रवार को भी सुनवाई पूरी नहीं हो सकी। भारत सरकार की ओर से मुख्य न्यायमूर्ति की खंडपीठ के सामने उपस्थित एएसजीआई कोर्ट में यह स्पष्ट नहीं कर सके कि केंद्र सरकार ने अनुदेशकों को दिए जाने वाले मानदेय के मद में राज्य सरकार को कितना पैसा दिया। मामले की अगली सुनवाई 24 मई को होगी।
एएसजीआई ने कोर्ट से अनुरोध किया कि उन्हें इस मुद्दे पर बात रखने के लिए कुछ और समय दिया जाए। केंद्र की तरफ से यह भी कहा गया कि अगली तारीख पर किसी अधिकारी को कोर्ट में बुलाया जाएगा ताकि इस मामले में सही जानकारी से कोर्ट को अवगत कराया जा सके।
मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल व न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ इस मामले में राज्य सरकार द्वारा दाखिल अपीलों पर सुनवाई कर रही है। एकल जज के आदेश के खिलाफ सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट व लखनऊ बेंच दोनों जगह पर अपील कर रखी है। सरकार की इन अपीलों पर एक साथ सुनवाई हो रही है।
पैसा जारी करने के बावजूद नहीं दिया गया 17 हजार मानदेय
लखनऊ से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये वहां के वरिष्ठ अधिवक्ता एलपी मिश्रा तथा इलाहाबाद हाईकोर्ट से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी इस मामले में सरकार की तरफ से उपस्थित रहे। सरकार का कहना है कि अनुदेशकों की नियुक्ति संविदा के आधार पर की गई है और ऐसे में संविदा में दी गईं शर्तें और मानदेय उन पर लागू होगा। कहा गया कि केंद्र सरकार ने इस मद में आवश्यकतानुसार पैसा राज्य सरकार को अपने अंश का नहीं दिया है। ऐसे में सरकार अपने स्तर से अनुदेशकों को भुगतान कर रही है।
अनुदेशकों की तरफ से कहा गया कि केंद्र सरकार ने अपनी योजना के तहत परिषदीय विद्यालयों के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अनुदेशकों का मानदेय 2017 में 17 हजार कर दिया था। यह भी कहा गया कि केंद्र सरकार द्वारा पैसा जारी करने के बावजूद उनको 17000 प्रतिमाह की दर से मानदेय नहीं दिया जा रहा है, जो गलत है। कोर्ट अब इन अपीलों पर 24 मई को सुनवाई करेगी।
उच्च प्राथमिक स्कूलों के अनुदेशकों के मानदेय में अब सुनवाई 20 मई को
प्रयागराज : प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत लगभग 27000 से अधिक अनुदेशकों का मानदेय 17000 रुपया प्रतिमाह देने के एकल जज के निर्णय के खिलाफ प्रदेश सरकार की अपीलों पर बुधवार को भी सुनवाई पूरी नहीं हो सकी।
प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट प्रयागराज व लखनऊ की खंडपीठों में अपीलें दाखिल कर रखी हैं। लखनऊ से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से वरिष्ठ अधिवक्ता एलपी मिश्रा तथा इलाहाबाद से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी सरकार की ओर से बहस कर रहे हैं।
अनुदेशकों की नियुक्ति संविदा के आधार पर की गई है और ऐसे में संविदा शर्तों और तय मानदेय उन पर लागू होगा। कहा गया कि केंद्र ने राज्य सरकार को अपने अंश का पूरा भुगतान नहीं किया है। राज्य सरकार अपने स्तर से अनुदेशकों का भुगतान कर रही है। सुनवाई मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल तथा न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की खंडपीठ कर रही है।
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