संविदा पर नियुक्ति का आदेश नहीं कर सकते : हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्राम रोजगार सेवक को नियुक्ति पत्र जारी करने से इनकार करने के एकल पीठ के आदेश से सहमत होते हुए मामले में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि संविदा पर नियुक्त करने के लिए याचिका नहीं की जा सकती।
एकल पीठ ने कहा था कि ग्राम रोजगार सेवक कोई पद नहीं है। उन्हें एक से दो साल के लिए संविदा पर नियुक्त किया जाता है। संविदा पर नियुक्त करने का आदेश नहीं दिया जा सकता। याची क्षतिपूर्ति मांग सकता है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी एवं न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने शैजाद ख़ान की अपील खारिज करते हुए दिया है। खंडपीठ ने कहा कि अपीलार्थी ऐसा कोई कानून नहीं दिखा सका जिसके तहत उसे नियुक्ति पाने का अधिकार मिला हो।
याची ने अलीगढ़ जिले के विकासखंड खैर की ग्राम पंचायत राजपुर को ग्राम रोजगार सेवक नियुक्त करने का निर्देश जारी करने की याचिका की। जिसे एकल पीठ ने खारिज कर दिया। इसे अपील में चुनौती दी गई थी।
कोर्ट ने 23 नवंबर 2007 के शासनादेश के हवाले से कहा कि संविदा पर नियुक्ति पर ग्राम पंचायत का निर्णय अंतिम होगा। उसे ही याचिका में पक्षकार नहीं बनाया गया है। अन्य फैसले के हवाले से कोर्ट ने कहा कि अंतरिम आदेश से किसी के अधिकार का सृजन नहीं होता। संविदा पर नियुक्त करने के आदेश के लिए याचिका नहीं की जा सकती। कोर्ट ने संविदा पर नियुक्त करने की मांग खारिज करने के एकल पीठ के फैसले पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
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