उच्च शिक्षा में जरूरत के मुताबिक बढ़ेगी छात्रवृत्ति
नई दिल्ली : शिक्षा से जुड़ी संसदीय समिति ने छात्रों को उच्च शिक्षा में विभिन्न योजनाओं के तहत दी जाने वाली छात्रवृत्ति व वित्तीय सहायता को बढ़ाकर तर्कसंगत करने की सिफारिश की है। समिति का कहना है कि निम्न आय वर्ग या वंचित तबके के जिन लाभार्थियों को मदद दी जाती है, वह उनकी जरूरतों को पूरा नही कर पाती। सबसे ज्यादा खर्च कोर्स की फीस पर होता है और उच्च शिक्षा में छात्रों की मेंटेनेंस लागत को पूरा करने के लिए राशि पर्याप्त नहीं होती।
समिति ने यह भी कहा है कि इस संबंध में उचित विश्लेषण और अध्ययन के जरिए सरकार योजनाओं की राशि और कवरेज को संशोधित करे। विभिन्न श्रेणियों में वंचित तबके को मिलने वाले लाभ का प्रामाणिक आंकड़ों की जनकारी के लिए भी अध्ययन की जरूरत बताई गई है। इससे कमियों को पहचानने और योजनाओं में सुधार करने में मदद मिलेगी।
गौरतलब है कि उच्च शिक्षा में नामांकन बढ़ाने के लिए कई स्तरों पर कवायद हो रही है। इस संबंध में अलग-अलग सुझाव और प्रस्ताव विचार- विमर्श के दौरान सामने आए हैं।
सरकार कई तरह के सुधारों पर गौर कर रही है, जिससे लाभार्थी योजनाओं को तर्कसंगत बनाकर कवरेज का दायरा सही लोगों तक सुनिश्चित किया जाए। वंचित, दलित, आदिवासी और लड़कियों की शिक्षा पर काफी फोकस किया जा रहा है। उच्च शिक्षा में नामांकन के साथ छात्रों को ज्यादा विकल्प के साथ उन्हें पढ़ाई से जोड़े रखने की कवायद भी साथ-साथ चल रही है।
जिन वित्तीय सहायता योजनाओं में उपयोग की दर कम है या तय आवंटन की तुलना में खर्च नही हुआ है, उनकी नए सिरे से पड़ताल की जा रही है। वास्तविक आकलन के आधार पर योजनाओं की समीक्षा की जा रही है।
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