परिणाम से पहले यूपी बोर्ड के परीक्षार्थियों से होने लगी वसूली, साइबर कैफे से फॉर्म भरवाने में लीक हो रहे नंबर
प्रयागराज : यूपी बोर्ड परीक्षा के परिणाम से पहले छात्र-छात्राओं को फोन कर वसूली शुरू हो गई है। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा का मूल्यांकन और प्रायोगिक परीक्षा पूरी होने के बाद बोर्ड का पूरा अमला परिणाम तैयार करने में जुटा है। इस बीच मेरठ, गाजियाबाद और वाराणसी आदि जिलों से वसूली की शिकायत मिल रही है।
असामाजिक तत्व अंक बढ़वाने या परीक्षार्थियों को फेल से पास करवाने के नाम पर रुपयों की मांग कर रहे हैं। यूपी बोर्ड के सचिव दिब्यकांत शुक्ल ने ऐसे असामाजिक तत्वों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए सिविल लाइंस थाने में एफआईआर कराई है। साथ ही वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रयागराज को भी सूचना दी है। सचिव ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्र लिखकर ऐसी घटना का पता चलने पर तत्काल एफआईआर दर्ज कराने को कहा है। गौरतलब है कि जून के दूसरे सप्ताह में यूपी बोर्ड की परीक्षा में हाईस्कूल और इंटर के 4775749 बच्चों का परिणाम संभावित है।
कैसे बचें जाल से
बोर्ड ऑफिस का कोई कर्मचारी नंबर बढ़ाने के नाम पर बच्चों को फोन नहीं करता। किसी भी परीक्षार्थी के पास ऐसी कॉल आती है तो उसे तत्काल डीआईओएस स्कूल के प्रधानाचार्य या शिक्षक के साथ ही पुलिस को सूचित करना चाहिए। नंबर बढ़वाने या फेल से पास करवाने का कोई दावा करे तो उसकी कॉल को रिकॉर्ड कर लें। किसी भी अनजान व्यक्ति के कहने पर उसके खाते में रुपये ट्रांसफर न करें।
बोर्ड सभापति के रिश्तेदार तक को कर चुके फोन
नंबर बढ़वाने के नाम पर बोर्ड परीक्षार्थियों को फोन करने के मामले पिछले वर्षों में भी सामने आ चुके हैं। पूर्व माध्यमिक शिक्षा निदेशक और यूपी बोर्ड के पूर्व सभापति अमरनाथ वर्मा के एक रिश्तेदार को फोन कर नंबर बढ़ाने का मामला भी पिछले वर्षों में सामने आ चुका है। इतना कुछ होने के बावजूद मामले में अब तक किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई।
अंक बढ़ाने या फेल से पास कराने के लिए कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा परीक्षार्थियों एवं उनके अभिभावकों को फोन कर अनावश्यक प्रलोभन दिया जा रहा है। परीक्षार्थियों एवं उनके अभिभावकों से अनुरोध है कि प्रलोभन में न आएं।
-दिव्यकांत शुक्ल, सचिव यूपी बोर्ड
10वीं-12वीं के परीक्षार्थियों के नंबर पर साइबर अपराधियों के फोन जाने से बोर्ड की गोपनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। स्कूलों के प्रधानाचार्य बोर्ड के पोर्टल पर छात्र-छात्राओं से संबंधित सूचनाएं भेजते हैं और सारी सूचनाएं स्कूल, डीआईओएस कार्यालय व बोर्ड ऑफिस के बीच रहती है। ऐसे में साइबर अपराधियों तक नंबर पहुंचना कई सारे सवाल खड़े करता है। हालांकि सूत्रों की मानें तो पिछले कुछ वर्षों में बोर्ड के सारे कार्य ऑनलाइन हो गए हैं।
स्कूल संचालक साइबर कैफे से बच्चों के हाईस्कूल और इंटर के फॉर्म भरवाते हैं। इन साइबर कैफे वालों के पास सारी सूचनाएं होती हैं। जहां से मोबाइल नंबर लीक होने की अधिक आशंका है।
झारखंड-छत्तीसगढ़ के निकले नंबर
बोर्ड परीक्षा में पास कराने के नाम पर रुपये वसूलने वालों के नंबर झारखंड और छत्तीसगढ़ के पते पर जारी हुए हैं। इस बात का खुलासा मेरठ, गाजियाबाद और वाराणसी के परीक्षार्थियों को जिस नंबर से कॉल आई थी, उसकी जांच कराने के बाद हुआ।
बोर्ड का कर्मचारी बनकर देते हैं झांसा
ये शातिर खुद को बोर्ड ऑफिस का कर्मचारी बताकर झांसा दे रहे हैं। पूर्व के वर्षों में ये शातिर बच्चों या उनके अभिभावक से अपने खाते में सीधे रुपये ट्रांसफर करने को कहते थे। लेकिन इस साल नंबर बढ़वाने के लिए पहले मिलने को बोल रहे हैं।
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