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Wednesday, May 4, 2022

ग्रेच्युटी भुगतान को लेकर बीएसए फर्रुखाबाद अवमानना में तलब

ग्रेच्युटी भुगतान को लेकर बीएसए फर्रुखाबाद अवमानना में तलब



इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवमानना के मामले में बेसिक शिक्षा अधिकारी फर्रुखाबाद लालजी यादव को नौ मई को हाजिर होने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने देवव्रत की अवमानना याचिका पर अधिवक्ता अनुराग शुक्ल को सुनकर दिया है। इससे पहले कोर्ट ने लालजी यादव के खिलाफ अवमानना आरोप निर्मित कर कारण स्पष्ट करने को कहा था कि क्यों न उन्हें जानबूझकर आदेश की अवहेलना करने के लिए दंडित किया जाए।


उसके बाद बीएसए ने अनुपालन हलफनामा दाखिल कर ग्रेच्युटी का भुगतान करने की जानकारी दी लेकिन ब्याज का भुगतान नहीं किया। इस पर कोर्ट ने उन्हें तलब किया। हाजिर न होने पर बीएसए को आदेश का पूरी तरह से पालन कर नौ मई को पेश होने का निर्देश दिया है।


याची के पिता जगदंबा प्रसाद प्राथमिक विद्यालय निविया, राजेपुर, फर्रुखाबाद में प्रधानाध्यापक पद पर कार्यरत थे। सेवाकाल में उनकी मृत्यु हो गई। उसके बाद उनके सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान कर दिया गया लेकिन ग्रेच्युटी का भुगतान यह कहते हुए करने से इनकार कर दिया गया कि मृत्यु से पहले याची के पिता ने 60 वर्ष की सेवानिवृत्ति विकल्प नहीं दिया है। विकल्प न देने वाले अध्यापक 62 साल की आयु तक कार्य करेंगे लेकिन वे ग्रेच्युटी के हकदार नहीं होंगे।


कोर्ट ने कहा कि उषा रानी केस में कोर्ट ने विकल्प भरने से पहले मृत्यु होने वाले अध्यापकों को 60 वर्ष में सेवानिवृत्त मानते हुए ग्रेच्युटी का भुगतान करने का आदेश दिया है। कोर्ट का मानना है कि विकल्प देने से पहले मृत्यु पर यह नहीं कह सकते कि 62 साल का विकल्प ही देते। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए दो माह में ग्रेच्युटी के भुगतान का आदेश दिया और देरी से भुगतान पर आठ फीसदी ब्याज देने को कहा। आदेश का पालन नहीं किया गया तो अवमानना याचिका की गई। उस पर अवसर देने पर भी आदेश का अनुपालन नहीं किया तो कोर्ट ने अवमानना आरोप निर्मित कर दंड देने पर कारण बताने का आदेश दिया था।




BSA ने कोर्ट की सख्ती पर दी ग्रेच्युटी, लेकिन ब्याज भुगतान नहीं


प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फर्रुखाबाद के बेसिक शिक्षा अधिकारी लालजी यादव को नौ मई को तलब किया है। इससे पहले कोर्ट ने उनके खिलाफ अवमानना आरोप निर्मित कर 21 अप्रैल को कारण बताने को कहा था कि क्यों न उन्हें जानबूझकर कोर्ट आदेश की अवहेलना करने के लिए दंडित किया जाय? बीएसए ने अनुपालन हलफनामा दाखिल कर ग्रेच्युटी का भुगतान करने की जानकारी दी, लेकिन ब्याज का भुगतान नहीं किया। इस पर कोर्ट ने 26 अप्रैल को तलब किया। 


हाजिर न होने पर कोर्ट ने बीएसए को आदेश का पूरी तरह से पालन कर नौ मई को पेश होने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने देववृत की अवमानना याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता अनुराग शुक्ल ने बहस की। मामले के अनुसार याची के पिता जगदंबा प्रसाद प्राथमिक विद्यालय निविया, राजेपुर, फर्रुखाबाद में प्रधानाध्यापक के पद कार्यरत थे। सेवा काल में उनकी मृत्यु हो गई।


 सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान किया गया, लेकिन ग्रेच्युटी का भुगतान करने से इन्कार कर दिया गया। कहा गया कि मृत्यु से पहले याची के पिता ने 60 वर्ष की सेवानिवृत्ति विकल्प नहीं दिया है। विकल्प न देने वाले अध्यापक 62 साल की आयु तक कार्य करेंगे, लेकिन ग्रेच्युटी के हकदार नहीं होंगे। कोर्ट ने कहा कि ऊषारानी केस में कोर्ट ने विकल्प भरने से पहले मृत्यु होने वाले अध्यापकों को 60 वर्ष में सेवानिवृत्त मानते हुए ग्रेच्युटी का भुगतान करने का आदेश दिया है। 


कोर्ट का मानना है कि विकल्प देने से पहले मौत पर यह नहीं कह सकते कि वे 62 साल का विकल्प ही देते। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए दो माह में ग्रेच्युटी का भुगतान आठ प्रतिशत ब्याज के साथ करने का आदेश दिया। आदेश का पालन नहीं किया गया तो अवमानना याचिका दायर की गई। आदेश का अनुपालन नहीं किया तो कोर्ट ने अवमानना आरोप निर्मित कर दंड देने पर कारण बताने का आदेश दिया।

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