हौसले व मेहनत ने आसान बना दी कठिन राहे, टॉपर्स में ऑटो चालक, वेल्डर के बच्चे तो सफाई कर्मी की बेटी भी
सीतापुर की शीतल वर्मा ने 96.83 फीसदी के साथ हाईस्कूल में छठा स्थान हासिल किया। पिता सुरेश वर्मा सफाईकर्मी हैं। शीतल अपनी कामयाबी का श्रेय उन्हें ही देती हैं। हाईस्कूल में तीसरा स्थान हासिल करने वाले कन्नौज के अनिकेत शर्मा के पिता अनूप शर्मा वेल्डिंग की दुकान चलाते हैं। कभी कोचिंग या ट्यूशन का सहारा न लेने वाले अनिकेत आईएएस अफसर बनना चाहते हैं। नौवां स्थान हासिल करने वाली कानपुर की नैन्सी वर्मा के पिता सुनील वर्मा ऑटो चलाते हैं।
बिना कोचिंग के कमाल करने वाली नैन्सी आईपीएस अफसर बनना चाहती है। इंटर में दूसरा स्थान पाने वाले बाराबंकी के योगेश प्रताप सिंह के पिता राजेंद्र प्रताप सिंह बटाई पर खेती करते हैं। आर्थिक दिक्कतों के बावजूद योगेश ने हार नहीं मानी और कामयाबी हासिल की। उन्होंने घंटे के बजाय टारगेट तय कर पढ़ाई की।
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यूपी बोर्ड : चमकी मेधा, बेटियों का दबदबा, हाईस्कूल में कानपुर के प्रिंस पटेल, इंटर में फतेहपुर की दिव्यांशी टॉपर, खबर पढ़ें नीचे।
1991 के बाद हाईस्कूल में कभी इतने बच्चे नहीं हुए पास, सीबीएसई की तर्ज पर यूपी बोर्ड ने भी दिल खोलकर नंबर देना शुरू किया, खबर पढ़ें सबसे नीचे
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यूपी बोर्ड : चमकी मेधा, बेटियों का दबदबा, हाईस्कूल में कानपुर के प्रिंस पटेल, इंटर में फतेहपुर की दिव्यांशी टॉपर
प्रयागराज : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) के शनिवार को जारी नतीजों में इस बार भी बेटियों का दबदबा रहा। हाईस्कूल में शीर्ष 10 में 70 फीसदी बेटियों ने कब्जा जमाया है तो वहीं इंटर में भी टॉप टेन में 53 फीसदी बेटियां ही हैं। दोनों परीक्षाओं में शीर्ष तीन स्थानों पर जगह बनाने वाले चार-चार परीक्षार्थियों में दो-दो बेटियां शामिल हैं। हाईस्कूल का रिजल्ट 88.18% व इंटर का 85.33% रहा।
हाईस्कूल में कानपुर नगर के छात्र और मूलरूप से फतेहपुर निवासी प्रिंस पटेल ने 97.67% अंकों के साथ टॉप किया है। मुरादाबाद की संस्कृति ठाकुर और कानपुर नगर की किरन कुशवाहा 97.50% अंकों के साथ संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर रहीं। कन्नौज के अनिकेत शर्मा (97.33% ) ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। वहीं, इंटरमीडिएट में फतेहपुर की छात्रा दिव्यांशी 95.40% अंकों के साथ अव्वल रहीं। दूसरे नंबर पर प्रयागराज की बेटी अंशिका यादव और बाराबंकी के योगेश प्रताप सिंह 95% अंकों के साथ दूसरे स्थान पर रहे तीसरे स्थान पर फतेहपुर के बालकृष्ण (94.20% ) रहे।
1991 के बाद हाईस्कूल में कभी इतने बच्चे नहीं हुए पास, सीबीएसई की तर्ज पर यूपी बोर्ड ने भी दिल खोलकर नंबर देना शुरू किया
यूपी बोर्ड ने 1921 में अपनी स्थापना के बाद 1923 में पहली बार हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा कराई थी। शनिवार को घोषित बोर्ड परीक्षा के 100वें परिणाम में हाईस्कूल के छात्र-छात्राओं की बल्ले-बल्ले हो गई। पिछले तीन दशक के उपलब्ध आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो कभी इतनी बड़ी संख्या में परीक्षार्थी सफल नहीं हुए।
शनिवार को दोपहर दो बजे पहले हाईस्कूल का परिणाम घोषित किया गया। इसमें 27,81,645 परीक्षार्थियों में से 22,22,745 (88.18 प्रतिशत) सफल हुए। इससे पहले 2016 में 36,46,802 परीक्षार्थियों में से 28,56,998 (87.66 प्रतिशत) छात्र-छात्राएं हाईस्कूल में पास हुए थे। 2013 और 2014 में लगातार दो साल 86 प्रतिशत से अधिक परीक्षार्थी 10वीं में पास हुए थे। 2013 में 3636953 परीक्षार्थियों में से 28,86,379 (86.63 प्रतिशत), जबकि 2014 में 3705396 छात्र-छात्राओं में से 28,90,695 (86.71 प्रतिशत) पास थे।
कल्याण सिंह के समय 1992 में 14.70% हुए थे पास
एक समय ऐसा भी था कि यूपी बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षा में पास करने वाले विद्यार्थी की पूरे मोहल्ले में अलग अहमियत होती थी। कल्याण सिंह के समय में 1992 में मात्र 14.70 प्रतिशत परीक्षार्थी ही पास हो सके थे। कई स्कूलों का परिणाम शून्य था। पूरे के पूरे मोहल्ले में गिने-चुने विद्यार्थी ही पास हो सके थे। आज उसी यूपी बोर्ड में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। सीबीएसई की तर्ज पर यूपी बोर्ड ने भी दिल खोलकर नंबर देना शुरू कर दिया है।
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